नागदा - भौतिक सुख मायाओं का जाल - मुनिश्री प्रतीक सागरजी मसा



Nagda(mpnews24)।  दिपावली पर्व पर जगमगाने वाले दिपक या तो तेल से जलते है या घी से, लेकिन जगमागने वाले दिपक की रोशनी को इस बात का बिलकुल भी घमंड नहीं होता है कि वह तेल से जल रहा है या घी से। वह दोनों प्रकार के दिपक समानता से रोशनी प्रदान कर अंधेरे को खत्म करने के लिए प्रयत्नशील रहते है। ठीक इसी प्रकार हर धर्म के महापुरूष भिन्न-भिन्न हो सकते है उनके सिद्धांत भिन्न-भिन्न हो सकते है लेकिन उन सभी महापुरूषों का बस एक ही लक्ष्य होता है मानव समाज का कल्याण करना। वह मानव समाज का कल्याण करने के लिए नित्य प्रयत्नशील रहते है। यह मानव का दुभाग्य कहे या आलस्य, वह जन्म तो सम्राट अर्थात राजा बनकर लेता हैै किन्तु वह जीवन भर भौतिक सुखों को प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार की क्रियाओं को निष्पादित करता है। मानव पलभर के भौतिक सुखों की माया जाल में उलझ कर आत्मा का कल्याण करने से वंचित रह जाता है। अनेक प्रकार के भौतिक सुख सुविधा होने के बाद भी वह अन्तः मन से दुखी रहता है। यह बात मंगलवार सुबह 9 बजे जैैन कालोनी स्थित शांतीनाथ राजेन्द्रसूरी जैन मंदिर परिसर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए दिगम्बर जैन संत मुुनिश्री प्रतीक सागरजी म.सा. ने कही। मुनिश्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरूषों की रही है। इस भारतीय संस्कृति पर पाश्चात संस्कृति इस तरह से अपनी अमिठ छाप छोड़ रही है कि आज का भारतीय नागरिक महापुरूषों के सिद्धंातों को छोड़कर पाश्चात सभ्यता को अपने जीवन का आधार मान रहा है। मुनिश्री ने उपस्थित समाजजन को सीख देते हुए कहा कि यदि आध्यातमिक शांति को प्राप्त करना है, परम सुख को प्राप्त करना है तो वह केवल और केवल महापुरूष की जीवनी उनके सिद्धांतों को आत्म सात करने से ही संभव है।

भक्ताम्बर पाठ के साथ आनंद यात्रा का आयोजन
मुनिश्री की निश्रा में राजेन्द्र जयंत उपाश्रय भवन में मंगलवार सुबह 6.15 बजे भक्ताम्बर पाठ दोपहर 2.30 बजे धार्मिक चर्चा एवं शंका का समाधान व शाम 6.30 बजे आनंद यात्रा का आयोजन किया गया। आनंद यात्रा के दौरान मुनिश्री ने भजनों के माध्यम से उपस्थित जनसमुदाय के मन को मोह लिया।

त्रिदिवसीय सर्वसमाज सतसंग आज से
मुनिश्री की निश्रा में त्रिदिवसीय सर्व समाज कल्याण सतसंग बुधवार से शुरू होगा। इस दौरान मुनिश्री सुबह 8.45 बजे किरण टाॅकिज चैराहे पर धर्मसभा को संबोधित कर 84 लाख जीवयोनी में अतिदुर्लभ ‘‘मानव जीवन को कैसे धन्य बनाएँ‘‘ मार्मिक विषय पर धर्मसभा को संबोधित करेगे। जानकारी देते हुए डाॅ. विपिन वागरेचा ने बताया कि 10 वर्षो के अंतराल के पश्चात दिगम्बर जैन संत सार्वजनिक स्थल पर सर्व समाजजन को मानव जीवन की महत्ता का पाठ पढाऐगे।
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