नागदा - कोरोना कफ्र्यू में गरीब का जीना हुआ मुहाल, 70 से बढकर 170 रूपये किलो हुआ सोयाबीन तेल महंगाई ने तोडी आम जनता की कमर, राजनेताओं ने साधी चुप्पी




Nagda(mpnews24)।  कोरोना कफ्र्यू के दौरान एक माह से घर बैठे नागरिकों के लिए महंगाई नई मुसीबत लेकर आई है। जहाॅं विगत एक वर्ष से ही कोरोना महामारी के चलते व्यापार-व्यवसाय लगभग ठप्प है उस पर महंगाई एवं खासकर दैनिक उपयोग की चिजों में जिस प्रकार से मुल्य वृद्धि हुई है उसने गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवारों का जीना मुहाल कर दिया है। एक तो कमाई नहीं दुसरी महंगाई... गरीब बच्चों का पेट पाले तो कैसे पाले। सरकार का महंगाई की और कोई ध्यान नहीं है जिसके चलते लोग ब्याज एवं उधार में पैसे लेकर घर चलाने को मजबूर हो रहे है। गतवर्ष की भांति स्थानिय प्रशासन ने भी खाद्य सामग्री आदि की कीट तक प्रदान नहीं की, सरकार ने तीन माह के राशन की घोषणा की है लेकिन वह भी दो माह का ही मिल रहा है। ऐसे में जिम्मेदारों ने जल्द ही कुछ नहीं किया तो स्थिति भयावह हो सकती है।

खाद्य तेल के भाव आसमान छु रहे
प्रतिदिन भोजन बनाने में उपयोग में आने वाला सोयाबीन खाद्य तेल के भाव आसमान छु रहे है। 7-8 माह पूर्व जो सोयाबीन का तेल 70-80 रूपये किलो मिला करता था आ उसके दाम 170 रूपये हो चुके हैं तथा जानकारों का कहना है कि भाव अभी और बढ सकते है तथा 200 का आंकडा भी छू सकते है। प्रतिदिन प्रकाशित होने वाले दामों पर ध्यान दे ंतो सितम्बर 2020 में एक किलो तेल का पाउच 90 रूपए में मिल रहा था अब खेरची में 155 से 167 रूपए तक में मिल रहा है। तेल के दाम में 30-35 रूपये किलो की बढोतरी तो हाल के 2-3 महिनों में ही आई है। व्यापारियों ने आशंका जताई है कि लाॅकडाउन खुलने व त्यौहार-शादी और सामाजिक कार्यक्रमों का दौर प्रारंभ होते ही तेल की कीमत में 20-30 रूपये प्रति किलो का उछाल और आ सकता है। यानी तेल 190-200 रूपये किलो तक भी पहुॅंच सकता है

जानकारों के मुताबिक भारत में होने वाले उत्पादन के अलावा सोयाबीन तेल की आवक मलेशिया, इंडोनेशिया, अर्जेंटीना, ब्राजील व अमेरिका से भी इसकी आवक होती है तभी बाजारों में इसकी पूर्ति हो पाती है और कीमत भी कंट्रोल रहती है। महामारी के दौर में विदेशों के अलावा अन्य प्रदेशों के विभिन्न प्लांटों में पुरी क्षमता से उत्पादन नहीं हो पा रहा है दुसरी तरफ ग्राहकी भी कमजोर बनी हुई है। ऐसे में कफ्र्यू खुलने के बाद मांग में बढोत्री होने पर तेल के दाम और अधिक भी बढ सकते है।

2400 रूपये में मिल रहा 15 लीटर तेल का डब्बा
पैकिंग खाद्य तेल की बात करें तो शहर के खेरची बाजार में पूर्व में 1400 से 1600 रूपये में मिलने वाला 15 कीलो का डिब्बा वर्तमान में 2200-2400 में मिल रहा है। क्षेत्र के बडे कारोबारियों का कहना है कि पूर्व में जहाॅं प्रतिदिन दर्जनों डिब्बे प्रतिदिन विक्रय होते थे वहीं अब तेल की ग्राहकी में काफी गिरावट है तथा अत्यधिक कीमत होने के कारण लोग पाउच आदि ही खरीद कर अपना काम चला रहे है। शहर के व्यापारियों ने बताया कि कंपनी से ही तेल 150 से 152 रूपये तक में आ रहा है। उनका कहना है कि व्यापार में पहली बार खाद्य तेल के भाव 100 रूपये से अधिक देखे हैं। ऐसे में आम नागरिकों की क्या स्थिति हो रही होगी यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्रतिमाह के खर्च में ही 500 की वृद्धि
अनुमान के मुताबिक चार-पाॅंच लोगों के परिवार में औसतन 5-6 किलो तेल प्रतिमाह की खपत होत है जो कि पूर्व में 500-550 रूपये में आ जाया करता था लेकिन वर्तमान में यह 500 रूपये अधिक 900-1000 रूपये में लाना पड रहा है। ऐसे में मात्र खाद्य तेल पर ही इतनी वृद्धि हो चुकी है। साथ ही दाल, चावल, मसाले एवं अन्य सामग्री के भाव भी आसमान छू रहे है। जिसके चलते आम आदमी का जीना भी दुश्वार हो चुका है।

क्या जिम्मेदारों को है परवाह ?
कभी अच्छे दिनों का नारा देकर सत्ता में काबिज हुए राजनेताओं को आम आदमी की पीडा पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। जिम्मेदार इस और ध्यान देने को तैयार नहीं है। गैस सिलेण्डर के भाव भी आसमान छु रहे है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा दी गई सामग्री को लेकर भोजन बनाने हेतु भी मशक्कत नागरिकों को करना पड रही है, जो परेशानी के अलावा कुछ भी नहीं।
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