MP NEWS24- राशन दुकान संचालकों द्वारा दुकान पर राशन प्राप्त करने आने वाले उपभोक्ताओं को पीओएस मशीन की रसीद नहीं दिए जाने का मामला सामने आया है। ऐसे में उपभोक्ताओं को वास्तविक रूप से सही राशन उपलब्ध हो पा रहा है या नहीं इसकी भी जानकारी उन्हें नहीं दी जा रही है। साथ ही उपभोक्ताओं को जितना उनका हक है उतना राशन भी प्राप्त नहीं हो रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो उपभोक्ताओं को पीओएस मशीन की रसीद क्यों प्रदान नहीं की जा रही है।क्या है मामला
राशन दुकान संचालकों द्वारा गरीबों के हक पर कैसे डाका डाला जा रहा है इसकी जानकारी सामने आई है। राशन दुकानों पर अनाज लेने जा रहे हितग्राहीयों के पास राशन कार्ड में खराब अक्षरों में एंट्री के अलावा दूसरा कोई सबूत नहीं कि उसे दुकान संचालक ने पुरा अनाज दिया है। जबकि नियमानुसार अनाज वितरण पर पीओएस मशीन से निकलने वाली पर्ची हितग्राहीयों को मिलना चाहिए। मगर शहर के अधिकांश राशन दुकान संचालक यह पर्ची हितग्राही को दे ही नहीं रहे हैं। ऐसी स्थिति में हितग्राही को कम अनाज मिलने पर वह कंट्रोल संचालक की शिकायत अधिकारी स्तर पर कर ही नहीं सकता। क्योंकि हितग्राही को पर्ची के रूप में मिलने वाला राशन का सबूत तो कंट्रोल संचालक अपने पास रख रहा है। दूसरी तरफ राशन दुकान संचालक पीओएस मशीन में एंट्री पुरे अनाज की करता है तथा यह बताने की कोशिष कर रहा है कि उसके द्वारा हितग्राही को पुरा राशन दिया जा रहा है।
राशन दुकानों पर की गई पडताल में हितग्राहीयों ने यह बात कबूली है कि कंट्रोल से अनाज के एवज में राशन कार्ड में एंट्री के अलावा उन्हें पीओएस मशीन से पर्ची नहीं दी जा रही है। जिससे राशन दुकान संचालकों द्वारा किए जा रहे इस गडबडझाले की आशंका नजर आ रही है। हैरत की बात तो यह है कि खाद्य विभाग भी राशन दुकान संचालकों की मनमानी पर मौन है। विभागीय अधिकारीयों ने एक बार भी कंट्रोल दुकानों पर जाकर इसकी जांच नहीं की। नतीजा शासन की नजर में हितग्राही को पुरा अनाज मिलना सामने आ रहा है और हितग्राही को मिलने वाले अनाज का हिसाब-किताब ही उसके पास नहीं है।
यहॉं बडा सवाल यह उठता है कि शासन द्वारा दो माह का राशन प्रदान किया जा रहा है। ऐसे में राशन दुकान संचालकों द्वारा उक्त राशन में भी गडबडझाला किया जा रहा है। राशन दुकानों की इस मनमानी से पूर्व पार्षद अनिल जोशी ने एसडीएम आशुतोष गोस्वामी, तहसीलदार आशीष खरे सहित खाद्य विभाग के अधिकारियों को अवगत कराते हुए इस महिने दो माह के सःशुल्क के साथ निःशुल्क राशन वितरण पर भी सवाल उठाऐ हैं। जोशी ने कहा कि जब पीओएस मशीन पर एंट्री के बाद पर्ची हितग्राही को नहीं दी जा रही। दुसरी तरफ राशन कार्ड में दुकान संचालक द्वारा जो एंट्री की जा रही है उसके अक्षर इतने खराब होते हैं कि हितग्राही तो दूर अधिकारी भी नहीं पढ पाते हैं। ऐसे में दुकान संचालकों की मनमानी की वजह से हितग्राहीयों का आक्रोश सरकार पर फूटता है जिससे बदनामी सरकार की होती है।
कंट्रोल दुकानों पर सार्वजनिक नहीं की जानकारी
गौरतलब है कि जिला कलेक्टर आशीषसिंह के आदेशानुसार 7 जनवरी से दो महिने के नियमित राशन के साथ्ज्ञ पीएमजीकेवाय योजना के तहत मुफ्त राशन भी दिया जा रहा है। कायदे से प्रत्येक राशन दुकान पर इस जानकारी का बोर्ड लगाया जाना चाहिए ताकि शत-प्रतिशत हितग्राही शासन की इस सुविधा का लाभ ले सकें। मंगर शहर की किसी भी राशन दुकान पर संचालक द्वारा ऐसी सूचना चस्पा नहीं की गई है।
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एसडीएम को करना चाहिए प्रतिमाह जांच
राज्य शासन द्वारा आदेश जारी कर सभी एसडीएम स्तर के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि माह में एक बार आवश्यक रूप से सार्वजनिक वितरण दुकानों की औचक जांच की जाना चाहिए। लेकिन अधिकारियों की व्यस्तता के चलते इस प्रकार की जांच नहीं हो पाती है। खाद्य विभाग के अधिकारी भी लाभ-शुभ के फेरे में उलझ कर हितग्राहीयों को मिलने वाले राशन की जांच नहीं करते हैं। शासन गरीबों के हितों की रक्षा के लिए प्रयास तो काफी करती है लेकिन लालफीताशाही में योजनाऐं उलझ जाती है तथा उनका वास्तविक लाभ जनता को नहीं मिल पाता है।
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