Nagda(mpnews24)। दो दिन से मन बड़ा उद्वेलित है,अशांत है एवं मन में गुस्सा एवं रोष भी है क्योंकि मैं भी दो बेटी का पिता हूँ और जब समाचार पत्रों में,टी.वी पर,सोशल मीडिया पर बेटियों एवं महिलाओं के साथ बलात्कार,यौन प्रताड़ना,दहेज के लिए जलाए जाने,शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना और स्त्रीयों के खरीद-फरोख्त के समाचार सुनने को मिलते है तब बेटियों के प्रश्नों से मन बड़ा दुःखी होता है कि महिला सुरक्षा कानून का क्या मतलब ? शासन प्रशासन चाहे कितना कठोर कानून तैयार कर ले जब तक हम अपने बेटों में संस्कार और मर्यादा नहीं सिखाएंगे तब तक ऐसे कानून मजाक ही बनते रहेंगे । उत्तर प्रदेश के हाथरस,बलरामपुर,आजमगढ़ की बलात्कार की घटनाओं को देखते हुए लगता है कि अब बेटियों को निडर बनाते हुए उनके हाथों में उनकी आत्मरक्षा के लिए शस्त्र देना पड़ेंगे। परिवर्तन एक दिन में नहीं होता उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है।अब वक्त की मांग है कि नारी उत्थान के लिए आंदोलन छेड़ा जाए और बेटियों को परिवार एवं विद्यालय में आत्मरक्षा के गुर सिखाएं जाएं ताकि ऐसा अपराध करने वाले दरिंदे उनका शिकार न कर पाएं।यह बात का गुरुवार को चेतनपुरा की भूमि वाल्मीकि को तलवार भेंट करते हुए म.प्र कांग्रेस कमेटी सदस्य बसंत मालपानी ने कही। श्री मालपानी ने तलवार भेंट करने से पहले युवती को कवि पुष्यमित्र उपाध्याय की पंक्तियां ष्उठो द्रोपदी शस्त्र उठा लो , अब न गोविंद आएंगे ष् सुनाई । इस अवसर पर कमल आर्य,अशोक परांजपे,दिलीप फतरोड़,विरेन्द्र मालपानी आदि मौजूद थे।
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