Nagda(mpnews24)। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देश-दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ वक्ताओं ने भाग लिया। यह संगोष्ठी आदि कवि वाल्मीकि इतिहास और मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार एवं अनुवादक सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे थे। प्रमुख वक्ता विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा थे। विशिष्ट अतिथि नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल, डॉ राजेन्द्र साहिल, लुधियाना, महासचिव डॉ प्रभु चैधरी एवं उपस्थित वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने की।
कार्यक्रम के अतिथि श्री शुक्ल नॉर्वे ने कहा कि वाल्मीकि सही अर्थों में विश्व कवि हैं। उनकी रामायण के माध्यम से विश्व में संस्कृत को गौरव मिला। उनकी रामायण का अनुवाद दुनिया के विभिन्न भाषाओं मैं होना चाहिए। श्री शुक्ल ने वाल्मीकि रामायण के प्रारंभिक श्लोकों का प्रथम बार नॉर्वेजियन भाषा में अनुवाद कर उनका पाठ किया।
प्रो. शर्मा ने कहा कि आदिकवि वाल्मीकि की रामायण में जातीय स्मृतियों, इतिहास, संस्कृति और मानवीय मूल्यों का जीवन्त रूपांकन हुआ है। वाल्मीकि ने रामकथा के माध्यम से सत्य और धर्म की प्रतिष्ठा पर बल दिया है। उनकी दृष्टि में सत्य ही संसार में ईश्वर है और धर्म भी उस सत्य के ही आश्रित है। उन्होंने एक ऐसे उदात्त चरित्र को महाकाव्य के केंद्र में रखा है, जो लोगों को परस्पर प्रेम, बन्धुत्व और समरसता में बांध सके। उनकी मूल्य दृष्टि बहुत गहरी है। डॉ. हरिसिंह पाल, नई दिल्ली ने कहा कि वाल्मीकि ने राम कथा के माध्यम से आसुरी वृत्तियों और अनाचार के दमन और उन पर विजय का शाश्वत संदेश दिया है। डॉ राजेंद्र साहिल, लुधियाना ने कहा कि आदि कवि वाल्मीकि का पंजाब के साथ गहरा संबंध रहा है। अमृतसर के समीप स्थित रामतीर्थ में वाल्मीकि का आश्रम था। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हरेराम वाजपेयी, इंदौर ने कहा कि वाल्मीकि का व्यक्तित्व सार्वभौमिक है। साहित्यकार डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि वाल्मीकि की रामायण भविष्य के लिए महत्वपूर्ण संदेश देती है। यह ग्रंथ श्रेष्ठ समाज के निर्माण में अनेक सदियों से विशिष्ट भूमिका निभा रहा है। आयोजन की संकल्पना एवं स्वागत भाषण संस्था के महासचिव डॉ प्रभु चैधरी ने देते हुए वाल्मीकि के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्था के उद्देश्य और भावी गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
राष्ट्रीय संगोष्ठी में डॉ शहाबुउद्दीन नियाज, मोहम्मद शेख पुणे, डॉ. भरत शेणकर अहमदनगर, डॉ आशीष नायक, रायपुर, डॉ प्रवीण बाला, पटियाला, डॉ मुक्ता कौशिक, रायपुर, डॉक्टर समीर सैयद, अहमदनगर, पूर्णिमा कौशिक, रायपुर, डॉ रोहिणी डाबरे, अहमदनगर, डॉ लता जोशी, मुंबई, डॉ ज्योति मईवाल, उज्जैन, डॉ राधा दुबे, डॉ प्रियंका द्विवेदी, प्रयागराज, डॉ अमित शर्मा, ग्वालियर, डॉ महेंद्र रणदा, पंढरीनाथ देवले आदि सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे। संगोष्ठी के प्रारंभ में सरस्वती वंदना डॉ लता जोशी मुंबई ने की। संगोष्ठी का संचालन संस्था सचिव डॉ रागिनी शर्मा, इंदौर ने किया। आभार प्रदर्शन संस्था के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ शहाबुउद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने किया।
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