नागदा - हजारों ठेका श्रमिकों को पुनः कार्य पर रखे उद्योग प्रबंधन, विधानसभा में गूंजाया विधायक गुर्जर ने मामला



Nagda(mpnews24)।  कोरोना महामारी के आड में नागदा स्थित ग्रेसिम व अन्य उद्योग में कार्यरत हजारों ठेका श्रमिकों को कार्य से बाहर निकाल देने का मुद्दा ध्यानार्कषण प्रस्ताव के माध्यम से मंगलवार को विधायक दिलीपसिंह गुर्जर द्वारा विधानसभा में उठाकर शासन का ध्यानार्कषित किया।

उद्योग 100 प्रतिशत उत्पादन कर रहे, पर हजारों ठेका श्रमिकों को कार्य पर नहीं रख रहे
श्री गुर्जर ने सदन को अवगत कराया कि नागदा स्थित उद्योगों के ठेका श्रमिकों को कोरोना महामारी की आड में उद्योग से बाहर कर दिया गया, 11 माह के बाद भी जब उद्योगों में 100 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है लेकिन ठेका श्रमिकों को काम पर नहीं रखा जा रहा है। वहीं जिन श्रमिकों को कार्य पर बुलाया भी जा रहा है उन्हें नियम विरूद्ध मात्र गेट इन्ट्री पास बनाकर उद्योग के भीतर कार्य करवाया जा रहा है। जिन श्रमिकों को आज से 11 माह पूर्व 450 से 480 रूपये तक कुशल श्रमिकों की रेट प्राप्त होती थी उन्हें गेट इन्ट्री पास के तहत 380 से 400 की रेट में दबाव में कार्य करवाया जा रहा है। जिन ठेका श्रमिकों को 15-25 वर्ष उद्योग में कार्य करते हुए हो गए है उन्हें अचानक बाहर कर देने से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है बाहर हुए श्रमिक अपने बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे है, बमुश्किल दोनो समय का खाना उनके परिवार को मिल पा रहा है। हजारों श्रमिकों को बगैर किसी ठोस वजह के कार्य से बाहर कर देने से श्रमिकों में शासन, प्रशासन के प्रति नाराजगी है। श्रमिकों द्वारा स्वयं को काम पर रखे जाने को लेकर आये दिन आंदोलनध्प्रदर्शन किये जा रहे है, लेकिन मध्यप्रदेश शासन उस पर ध्यान नहीं दे रहा है।

हजारों श्रमिकों को कार्य से बंद किए जाने की बात सही नहीं - श्रम मंत्री
ध्यानार्कषण प्रस्ताव के जवाब में श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि श्रमिकों को कार्य प्रदान करने के संबंध में वैधानिक स्थिति यह है कि इन्हें अनिवार्य रूप से कार्य उपलब्ध कराये जाने संबंधी श्रम कानूनों में प्रावधान नहीं है। वहीं नियोजक द्वारा कार्य उपलब्ध होने पर ठेकेदार के माध्यम से आवश्यकता अनुसार श्रमिकों को कार्य पर लिया जा सकता है वहीं निर्धारित दर से कम भुगतान होने व वेतन भुगतान नहीं होने की स्थिति में ठेका श्रमिक श्रम कार्यालय में शिकायत प्रस्तुत कर सकता है। ठेका श्रमिकों को कोरोना के कारण विधिक रूप से देय भुगतान से कम भुगतान करने अथवा उन्हें बडी संख्या में सेवा से पृथक करने का कोई विशिष्ट प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है। यह कहना कि हजारों श्रमिकों को बगैर किसी ठोस वजह से कार्य से हटा दिया गया है, सही नहीं है इसके कारण श्रमिकों द्वारा किसी तरह के बडे आंदोलन या प्रदर्शन एवं शासन तथा प्रशासन के प्रति नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है।

गोलमोल जवाब देकर अधिकारी बचा रहे प्रबंधन को - विधायक
इस पर श्री गुर्जर ने कहा कि जो जवाब मंत्री जी द्वारा दिया जा रहा है वो अधिकारियों का जवाब है वस्तुस्थिति इसके बिल्कुल विपरित है। जहां पहले ठेका श्रमिकों के प्रतिमाह कार्ड बनते थे और कार्ड पर उनकी दरे अंकित होती थी परंतु अब मात्र गेट पास बनाकर उद्योगों में कार्य करवाया जा रहा है आप चाहे तो एक टीम पहुंचा कर उसकी जांच करवा सकते है। वहीं उद्योग में ठेका श्रमिकों का कार्य स्थाई श्रमिकों से कराकर पर वर्क लोड बढाकर 10-10, 12-12  घण्टें काम लिया जा रहा है। माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हुं कि क्या मात्र इन्ट्री पास बनाकर श्रमिकों से उद्योगों में कार्य करवाया जा सकता है? क्या यह उद्योग नियमों के विपरित नहीं है? तथा कोरोना के पूर्व जो ठेका श्रमिक कार्य कर रहे थे क्या वो वर्तमान में कार्य कर रहे है? इसकी जांच करने पर वस्तुस्थिति पता लग जायेगी।

ठेका श्रमिकों को कार्य पर रखे जाने हेतु प्रबंधन पर दबाव नहीं बना सकती सरकार - श्रम मंत्री
श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह जी द्वारा बताया गया कि ठेका श्रमिक काॅन्ट्रेक्चुअल लेबर है वो डायरेक्ट हमारे प्रावधान के अन्तर्गत नहीं है हम फोर्सफुली किसी भी नियोजक को बोलें कि इनको लगाया जाये, क्योकि वह नियोजक ठेकेदार से बोलता है, ठेकेदार काॅन्ट्रेक्ट लेबर लेती है और वह काम कराता है, आवश्यकतानुसार काम होते है, जहां तक माननीय सदस्य ने जैसा हमें अवगत कराया है इसमें हमने भी जानकारी ली है कि कोरोना काल में क्योंकि हमारी सरकार की भी गाइडलाईन रही है कि और हमारा 23 मार्च से जून के प्रथम सप्ताह तक वहां पर फैक्ट्रीज बंद रही है और उस कारण से हमारी कुछ लेबर बाहर गई थी जैसा कि आप ही के माध्यम से हमें जानकारी मिल रही है कि खासकर जो ग्रेसिम इंडस्ट्रीज स्टेपेल फायबर डिवीजन है जो एक इंडस्ट्री है, जिसमें 2000 लेबर कार्यरत थी, अब उसमें 1200 लेबर कार्यरत है, 800 अभी कार्यरत नहीं है और जहां तक आपके द्वारा ही मालूम पड रहा है, जैसा आप बता रहे है कि बाहर से कुछ लोग आकर उनका गेट पास बनाकर उनको अंदर लिया जा रहा है, मैं सदन को इतना जरूर आश्वस्त करना चाहता हुं कि जो वेजेस हमारे उस फैक्ट्री वाले ने अंदर दिये होंगे वहीं वेजेस उनको देने पडेगे यदि वह कम दे रहे है तो हमारा जो अधिनियम है उसके अंतर्गत लेकर विधिवत जांच करवाकर, परीक्षण करा लेगें और इस तरह से होगा तो हम सुनिश्चित करेंगे कि जो वेजेस पूर्व में दिये है वहीं वेजेस उनको मिले।
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