नागदा - स्कूल का संचालन किए बिना ही वसुल ली अभिभावकों से संपूर्ण फीस, कोरोना महामारी में हुई लूट लिखित शिकायतों पर भी नहीं हुई कोई सुनवाई, अभिभावक परेशान



Nagda(mpnews24)।  देश वर्तमान में कोरोना बिमारी जैसी गंभीर महामारी के संकट से गुजर रहा है। महामारी के इस दौर में लगातार एक वर्ष से पहले लाॅकडाउन एवं उसके बाद की आर्थिक परेशानियों का बोझ सभी वर्ग के परिवारों पर पडा है। देश एवं प्रदेशवासियों के साथ शहर के मध्यमवर्गीय एवं आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों द्वारा लाॅकडाउन के दौरान अपनी संचित निधि भी परिवार को चलाने में खर्च कर दी। वर्तमान समय में भी आर्थिक स्थितियाॅं पूर्ण रूप से सामान्य नहीं हो पाई है तथा वर्तमान में भी महामारी का गंभीर संकट प्रत्येक परिवार की चिंताऐं बढाऐ हुए है। इन सब परिस्थितियों के चलते तथा शासन के आदेशों के बाद भी स्थानिय निजी विद्यालय संचालकों द्वारा लगभग वर्षभर का संपूर्ण शिक्षा शूल्क वसुलने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। आलम यह है कि आॅनलाईन पढाई के नाम पर अच्छी खासी लूट निजी विद्यालय संचालकों द्वारा की गई है। जिसमें शहर के फातिमा विद्यालय, आदित्य बिरला पब्लिक स्कूल, आदित्य बिरला सिनियर सेकेण्डरी स्कूल सहित अन्य विद्यालय शामिल है, जिन्होंने महामारी के दौर में भी अभिभावकों से संपूर्ण शूल्क वसुलने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।

सबसे ज्यादा शिकायतें फातिमा विद्यालय की
क्रिश्चियन मिशनरी द्वारा संचालित शहर के बडे निजी विद्यालय फातिमा कान्वेंट द्वारा अभिभावकों को परेशान करने में कोई कसर बाकी नहंी रखी। विद्यालय में अध्यनन करने वाले कक्षा नर्सरी से लेकर 8वीं तक के बच्चों का स्कूल गत शिक्षण सत्र में एक दिन भी नहीं लग पाया। बावजुद इसके विद्यालय संचालकों द्वारा आॅनलाईन पढाई के नाम पर संपूर्ण शिक्षण शूल्क वसुला। आॅनलाईन परीक्षाओं के बाद विद्यालय द्वारा सभी कक्षाओं के परीक्षा परिणाम भी घोषित किए तथा अंक बताने के नाम पर भी अभिभावकों को खुलकर ब्लैकमेल किया गया। इतना ही नहीं विद्यालय प्रबंधन से परेशान अभिभावकों ने अपनी पीडा शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी बताई। कुछ अभिभावकों ने तो लिखित शिकायत संकूल प्राचार्य शासकीय विद्यालय को दी लेकिन ढाक के वही तीन पात विद्यालय प्रबंधन अपनी मनमानी करता रहा और अभिभावकों से संपूर्ण फीस वसूल ली गई।

उद्योग द्वारा संचालित विद्यालयों के भी यही हाल
  एशिया में अपनी साख रखने वाले नामचिन उद्योग ग्रेसिम स्टेपल फायबर डिविजन द्वारा भी शहर में तीन विद्यालयों का संचालन किया जाता है। आदित्य बिरला पब्लिक स्कूल, आदित्य बिरला सिनियर सेकेण्डरी स्कूल तथा आदित्य बिरला हायर सेेकेण्डरी विद्यालय। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि इन विद्यालयों को ग्रुप द्वारा लगभग 3 करोड रूपये प्रति वर्ष की सब्सिडी दी जाती है। बावजुद इसके इन विद्यालयों ने भी बिना स्कूल का संचालन किए तथा आॅनलाईन पढाई के नाम पर प्रत्येक विद्यार्थी के अभिभावकों से लगभग संपूर्ण शूल्क वसुला। हालांकि इन विद्यालय के प्रबंधन द्वारा जो शूल्क नहीं जमा कर पा रहे थे उन्हें आसान किश्तों में जमा करने का विकल्प दिया है लेकिन शूल्क में कटौती नाममात्र की ही गई। इन तीनों विद्यालयों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की कक्षाऐं जरूर संचालित की गई लेकिन वह भी मात्र 3-4 माह ही लगी। ऐसे में संपूर्ण शूल्क वसुलने का अधिकार आखिर इन विद्यालय संचालकों को किसने दिया ?

अभिभावक संघ भी दिखाई दे रहा लाचार
शहर में निजी विद्यालय संचालकों की मनमानी से बचाने के नाम पर अभिभावक संघ का गठन भी हुआ था। संगठन बनाने वाले पदाधिकारियों ने कुछ माह पहले प्रभावी पहल की थी तथा प्रशासनिक अधिकारियों, अभिभावकों एवं निजी विद्यालय संचालकों के मध्य एक मिटिंग का आयोजन भी हुआ। लेकिन उक्त मिटिंग में भी निजी विद्यालय संचालक अपनी कारगुजारियों से बाज नहीं आऐ तथा शूल्क वसुलने पर अडे रहे। मिटिंग में हंगामा भी हुआ, लेकिन शहर के ऐसे अभिभावक जिनके बच्चे निजी विद्यालयों में पडते हैं उन्हें कोई राहत नहीं मिल पाई। आलम यह है कि अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य का सपना संजोने वाले अभिभावक निजी विद्यालय संचालकों के सामने नतमस्तक हो गए तथा संपूर्ण शूल्क जमा करने में लगे हुए है अथवा कर भी चुके हैं। उसके बाद ही उन्हें बच्चों को प्राप्त अंक की जानकारी विद्यालय द्वारा दी गई है।
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