नागदा - अनलाॅक नियमों को थोप कर व्यापारियों को परेशान कर रहा प्रशासन, अनशन की चेतावनी दी



Nagda(mpnews24)।  लगातार 51 दिनों तक कोरोना महामारी की दुसरी लहर के दौरान अपना व्यापार-व्यवसाय बंद रखकर प्रशासन को सहयोग प्रदान करने वाले व्यापारियों का सब्र का बांध अनलाॅक में थोपे जा रहे नियमों चलते अब टूट गया है। व्यापारियों ने गुरूवार को एक ज्ञापन क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के नाम सौंप कर चेतावनी दी है कि यदि सोमवार से संपूर्ण दुकानों को व्यवसाय करने की अनुुमती जारी नहीं की गई तो व्यापारी अनशन पर बैठ जाऐंगे।

रविवार तक लेफ्ट-राईट पद्धति बंद कर संपूर्ण शहर खोलें
शहरभर के व्यापारियों की असहमती के बावजूद प्रशासन के आदेश का पालन करते हुए व्यापायिों ने लेफ्ट-राईट पद्धति के नियमो का पालन किया। शहर में कोरोना संक्रमण बहुत ही कम हो चुका है वहीं कोविड सेंटरों में एक भी मरीज वर्तमान में भर्ती नहीं है। बावजुद इसके प्रशासन लेफ्ट-राईट पद्धति पर अडा हुआ है ऐसे में प्रशासन रविवार तक संपूर्ण शहर खोलने की अनुमती प्रदान करें। व्यापारियों का कहना है कि चूंकि प्रदेश के सभी जिले शासन ने लेफ्ट-राईट पद्धति से मुक्त कर दिए हैं, लेकिन नागदा शहर के व्यापारियों को अभी तक इसी पद्धति से व्यापार करने की अनुमती दी गई है। ऐसे में यदि सोमवार से संपूर्ण शहर को खोलते हुए व्यापार की अनुमती नहीं दी गई तो समस्त व्यापारी संगठन अनिश्चितकाल बंद कर अनशन पर बैठ जायेंगे।

व्यापारीयों ने एसडीएम आशुतोष गोस्वामी को प्रेषित ज्ञापन में जिले के प्रभारी मंत्री मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, कलेक्टर उज्जैन आशीषसिंह को देते हुए उक्त मांग की है। ज्ञापन का वाचन सुरेन्द्र कांकरिया ने किया एवं आभार प्रवक्ता टीटी पोरवाल ने माना।
ज्ञापन सौंपते समय किराना व्यापारी संघ के संरक्षक मनोज राठी, अध्यक्ष महेन्द्र राठौड, रमेश जैन, शरण गर्ग, किशोर सेठिया, नवीन पोरवाल, अतुल छोरिया, आशीष जैन, दीपेश सोलंकी, किरण पोरवाल, मनोज पोरवाल, कमलेश नागदा, दीपक दलाल, मुकेश जैन, जगदीश मेहता, टीटी पोरवाल, गोपाल मोहता आदि मौजुद थे।

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राजनीति की भेंट चढ़ा नागदा का व्यापार व्यवसाय

शहर के एक युवा कपडा व्यवसायी ने गुरूवार को सोश्यल मिडिया पर लिखा कि मध्यप्रदेश के सभी जिले ओर उनके अन्तर्गत आने वाली सभी तहसील और कस्बे समयानुसार पूरी तरह से खोले जा रहे है किन्तु केवल प्रदेश में नागदा एक ऐसी तहसील है जहां जनता कम ओर नेता ज्यादा है। सर्वप्रथम तो मैं यह जानना चाहता हूं कि प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा व्यापार-व्यवसाय से सम्बन्धित यदि कोई बैठक रखी जाती है तो उसमें जनप्रतिनिधियों का हस्तक्षेप क्यों ? पिछले वर्ष से अभी तक कौन जनप्रतिनिधि ऐसा है जो बाजार आकर व्यापारियों से मिला या उनसे जानने की कोशिश की कि वो किस दौर से गुजरे है उनकी पीड़ा क्या है। केवल सत्ता के नशे में चूर जनप्रतिनिधि अपना उल्लू सीधा करने में लगे है ओर राजनैतिक तौर तरीको से नागदा के बाजारों को खुलने में अड़चनें पैदा कर रहे है। सभी जनप्रतिनिधियों से ओर प्रशासनिक अधिकारियों से एक ही निवेदन है कि बाजार को सम्पूर्ण रूप से गाइड लाइन अनुसार निरंतर खोलने की कोशिष करें ओर व्यापारियों की पीड़ा को समझे।
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