MP NEWS24- बुधवार को ग्रेसिम स्टेपल फायबर डिविजन उद्योग में हुई भीषण गैस रिसाव की घटना शहर के नागरिकों के लिए काफी बडी घटना के रूप में देखी जा रही है। बताया जाता है कि यहॉं के रहवासियों ने इससे पूर्व उद्योग में हुई कई घटनाकों को देखा है लेकिन गैस का रिसाव होने के बाद इतनी बडी मात्रा में शहर में गैस का फेलना पहली बार देखा है। ऐसे में एक प्रकार का भय शहरवासियों में गुरूवार को भी देखा गया। इतना नहीं नागदा के आस-पास के सैकडों ग्रामों भी इस बात की दहशत फेल गई है कि यहॉं पर कभी भी गैस रिसाव से कोई बडा हादसा कभी भी हो सकता है। यह तो गनीमत थी कि जिस गैस का रिसाव हुआ उसका प्रभाव काफी कम था लेकिन जानकार कहते है कि यह गैस भी 200 माईक्रोन से अधिक शरीर में चली जाती है तो इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं।शहर में होता है काफी रसायनों का उत्पादन एवं भण्डारण
गौरतलब है कि ग्रेसिम उद्योग में प्रतिदिन 400 से 450 टन स्टेपल फायबर का निर्माण होता है। फायबर निर्माण हेतु विभिन्न केमिकलों का उपयोग भी उद्योग में होता है, साथ ही उत्पादन प्रक्रिया के दौरान कई हजारडस्ट केमिकल भी अतिरिक्त रूप से निकलते हैं। इस पुरी प्रक्रिया हेतु लगभग 80 लाख गैलन पानी की आवश्यकता प्रतिदिन पडती है। फायबर निर्माण हेतु सेल्युलोसिक पल्प को 18-25 प्रतिशत कास्टीक सोडा में गलाया जाता है, पश्चात उसकी लुगती बनाकर विस्कोस बनाते हैं, फिर विस्कोस में सीएस-2 को मिश्रीत करने के बाद इस विस्कोस को एस-2एसओ-4 की 10 प्रतिशत से रिएक्शन करवा कर फायबर बनाया जाता है। फायबर निर्माण हेतु कास्टिक सोडा, सीएस-2, गंधक, हाईड्रोजन सल्फाईड का उपयोग होता है। सूत्रों का कहना है कि उद्योग परिसर में सीएस-2 जो कि एक खतरनाक गैस होती है के 8-8 टन के 8 टेंक स्थित है। सीएस-2 जब वातावरण में रिसती है तो रिसाव के दौरान आग लगने का काफी खतरा भी उत्पन्न हो जाता है।
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शासन के जनंसपर्क विभाग ने कहा छोटा था घटनाक्रम
मध्यप्रदेश सरकार जनसंपर्क विभाग के अधिकृत ट्वीटर हैण्डल से कहा गया है कि नागदा में ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के सल्यूरिक एसिड प्लांट से बुधवार को रिसी गैस का वातावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं है। गैस लीकेज पर घटना के बाद शीघ्र ही नियंत्रण पा लिया गया था। नमी होने के कारण कुछ देर तक व्हाइट यूम्स निकलती रही। प्लांट में वार्षिक सफाई एक आवश्यक प्रक्रिया है, जिसमें पाइप लाइन को साफ किया जाना आवश्यक है। उद्योग प्रबंधन द्वारा इस दौरान पूर्ण सुरक्षा अपनाये जाने की जानकारी दी गई है। वस्तुतः स्लज के जमाव से अचानक ड्रेन वॉल्व से तरल सल्फर ट्राई ऑक्साइड लीक होकर यह घटना घटित हुई। शाम साढ़े 6 बजे घटना स्थल के आस-पास का वातावरण सामान्य पाया गया।
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गुरूवार को कांग्रेस नेता सुबोध स्वामी ने एक शिकायती पत्र एसडीएम गोस्वामी को सौंपा। जिसमें कहा गया कि ग्रेसिम उद्योग में हुए ओलियम गैस रिसाव में उद्योग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केमिकल उत्पादक उद्योगों के लिये स्थापित नियमों का उल्लंघन करने पर एयर पॉल्युशन एवं कंट्रोल एक्ट 1981 का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि गैस रिसाव से शहर के हजारों नागरिक खांसी, ऑंख में जलन, सॉंस लेने में तकलीफ एवं घबराहट का शिकार हुए हैं। उन्होंने कोविड काल में ठेका श्रमिकों को बंद किए जाने का मुद्दा भी उठाया तथा उद्योग में रखरखाव में बरती जा रही लापरवाही को दुर्घटना का मुख्य कारण भी बताया।
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नहीं पहुॅंचा सत्ताधारी दल का एक भी नेता
घटनाक्रम के दौरान जब पुरा शहर दहशत की स्थिति में था उस दौरान सत्ताधारी दल का एक भी नेता न तो उद्योग गेट पर पहुॅंचा और ना ही कोई बयान जारी किया। कांग्रेस के कुछ नेता जरूर इस मामले में सक्रिय है तथा ज्ञापन आदि देकर घटना की जांच एवं कार्रवाई की मांग की है। लेकिन सत्ताधारी दल के नेताओं की चुप्पी शहरवासियों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
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