नागदा जं.--कमरतोड महंगाई की मार से जुझ रहे नागरिक, पेट्रोल एक बार फिर 117 हुआ

MP NEWS24-त्यौहार के समय बढती महंगाई से क्षेत्र के नागरिकों को दो चार होना पड रहा है। वर्तमान में त्यौहारी समय एवं वैवाहिक आयोजनों का काफी दौर चल रहा है। ऐसे में महंगाई की मार आम आदमी को काफी तकलीफ पहॅुचा रही है। कभी अच्छे दिन के नाम पर सत्तासीन हुए राजनेताओं को तो सत्ता सुख मिल गया तथा उनके जरूर अच्छे दिन आ चुके हैं, लेकिन जनता जो पूर्व में भी करार रही थी अब और अधिक कराह रही है। शहर में वर्तमान में पेट्रोल के दाम 117 के लगभग पहुॅंच चुके हैं तथा लगातार हो रही बढोत्री के बाद यह आंकडा कभी भी 120 रूपये प्रति लीटर को छू लेगा। वहीं आम जरूरत की चिजों के दाम भी लगातार बढ रहे हैं। सोयाबीन खाद्य तेल जहॉं 150-160 रूपये मिल रहा है वहीं ब्रांडेड तेल 170-180 रूपये किलो नागरिकों को लेना पड रहा है। फल, सब्जीयों एवं अन्य जरूरत के सामान में भी महंगाई की आग ने नागरिकों को झुलसा दिया है।

लगातार बढ रहे पेट्रोलियम पदार्थो के दाम
पेट्रोल और डीजल के दाम में लगातार हो रही बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्टर्स और व्यापारी से लेकर आम लोग तक सभी प्रभावित हुए हैं। जिस रफ्तार से ईंधन के दाम बढ़ रहे हैं उसका सीधा असर बाजार पर हो रहा है। पिछले 15 दिन में ही पेट्रोल और डीजल 9 रुपए 16 पैसे महंगे हो गए हैं। बाजार मामलों से जुड़े जानकार और व्यापारी कहते हैं कि इसका सीधा असर माल भाड़े पर पड़ेगा और इसमें 16 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। डीजल की सबसे ज्यादा खपत ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर में होती है। दाम बढ़ने पर यही दोनों सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। डीजल के दाम बढ़ने से खेती से लेकर उसे मंडी तक लाना महंगा हो गया है। इससे आम आदमी और किसान दोनों का बजट बिगड़ सकता है।
आम आदमी पर सीधा असर
अगर ट्रांसपोर्ट 16 प्रतिशत महंगा होता है तो जिस वस्तु के दाम भी कम से कम ट्रासपोर्ट की लागत के हिसाब से बढ़ जाएंगे। जैसे मान लीजिए 1 क्विंटल गेहूं को मंडी तक लाने के लिए पहले 100 रुपए लगते थे, लेकिन ट्रांसपोर्ट महंगा होने से ये 116 रुपए हो जाएंगे। ये बढ़े हुए 16 रुपए आम आदमी से ही वसूले जाएंगे। इससे लोगों को गेहूं की कीमत 1.5 प्रतिशत बढ़ जाएगी। इसी तरह का असर अन्य सामानों पर भी देखा जाएगा।

सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटा क्यों नहीं देती?
शहर में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 116-117 रुपए है। इसमें केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और  रुपए राज्य सरकार वैट वसूलती है। देश के अन्य हिस्सों में भी पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला टैक्स 50-60 प्रतिशत तक है। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर सरकार अपना खजाना भर रही है। जहां एक ओर कोरोना महामारी के कारण आम आदमी की आमदनी घटी है तो वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर खूब कमाई की है। बीते 3 सालों में जहां एक ओर प्रति व्यक्ति सालाना आय 1.26 लाख रुपए से घटकर 99,155 रुपए सालाना पर आ गई है, वहीं सरकार की एक्साइज ड्यूटी से कमाई 2,10,282 करोड़ रुपए से बढ़कर 3,71,908 करोड़ पर पहुंच गई है। यानी बीते 3 साल में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स (एक्साइज ड्यूटी) लगाकर सरकार ने 8 लाख करोड़ से ज्यादा की कमाई की है।
आम जरूरत की चिजों में भी हुई बढोत्री
पेट्रोलियम पदार्थो में हो रही लगातार वृद्धि के चलते आम जरूरत की चिजों के भी दाम काफी बढ गए हैं। इतना नहीं अपना घर बनाने का सपना तो गरीब आदमी के लिए चकनाचुर हो चुका है। वर्तमान में सरिये के भाव 8200 रूपये प्रति क्विंटल पहुॅंच गए हैं वहीं सीमेंट, लेबर आदि का खर्च भी अत्यधिक बढ गया है। इसी के चलते शासकीय निर्माण पर भी असर पडा है तथा ठेकेदार पुरानी दरों पर कार्य करने को कतई राजी नहीं दिखाई दे रहे हैं।

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