MP NEWS24-दिव्यांगजनों के पुनर्वास हेतु समर्थ योजना बनाकर देश की पहली नगरीय निकाय बनी नागदा नगर पालिका द्वारा इस योजना का लाभ दिव्यांगो तक पहुंचाने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। स्नेह संस्थापक और केंद्रीय दिव्यांगजन सलाहकार बोर्ड के सदस्य लायन पंकज मारू ने बताया कि उनके सुझाव पर दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अनुरूप नगर पालिका परिषद नागदा ने प्रशासक संकल्प के माध्यम से दिव्यांगजनों के पुनर्वास हेतु समर्थ योजना को लागू किया था।शहर के 16 दिव्यांगजन जो 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग है तथा जिनको दो तीन वर्ष पूर्व बैटरी से चलने वाली ट्राइसाइकिल प्रदान की गई थी, उनमें खराबी आने से बंद थी तथा बैटरी रिप्लेसमेंट एवं अन्य पार्ट्स बदलने का खर्च वहन करने में ये दिव्यांग असमर्थ होने से ये गाड़ियां खड़ी हुई थी। इससे इन सभी दिव्यांगजनों को अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ रहा था। मारू के समक्ष दिव्यांगों द्वारा उपरोक्त गाड़ियों को ठीक करने की मांग पर उन्होंने भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम से विशेषज्ञ को बुलाकर जांच करवाई जिससे पता लगा कि इस कार्य में 2.15 लाख का कुल खर्च आना है। उन्होंने इस हेतु मुख्य नगर पालिका अधिकारी सी एस जाट एवं प्रशासक आशुतोष गोस्वामी को इस खर्च को समर्थ योजना के तहत करने का अनुरोध किया।
नगर पालिका द्वारा इस पर कार्यवाही करते हुए 2.15 लाख रुपए का भुगतान कर सभी स्पेयर पार्ट्स एलिम्को से क्रय किए गए और चार दिवसीय शिविर का स्नेह में आयोजन कर सभी 16 गाड़ियों को एलिम्को उज्जैन के टेक्निशियन संजय सिंह द्वारा मरम्मत कर पुनः चालू स्थिति में लाया गया जिससे दिव्यांग हितग्राही जितेन्द्र खोकर, धन्नालाल प्रजापत, सुरेश मरोठिया, दिनेश दशलेनिया, सुरेश सेठिया, कविता प्रजापत, दुर्गा बाई, रमेश चन्द्र गोस्वामी एवं अन्य सभी दिव्यांगजनों के चहरे पर मुस्कान लौट आई। शिविर में स्नेह के उप निदेशक महेशचंद्र राठौर, परियोजना अधिकारी विप्लव चौहान, चंदन सिंह शर्मा का विशेष योगदान रहा।
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