प्रेषित पत्र में नेताद्वय ने कहा कि वर्तमान में कोरोना महामारी गंभीर रूप लेती जा रही है दिन प्रतिदिन संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। नगर का एक मात्र शासकीय चिकित्सालय जिसमें मात्र 5 आईसीयू बेड है उस पर निर्भर है। नगर के नागरिक जिनके परिजन कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं उन्हें इंदौर, उज्जैन, रतलाम जैसे शहरों की तरफ भागना पड़ता है, वहां पर भी उनको अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं हो पाते अगर उपलब्ध होते भी हैं तो 50 हजार से एक लाख तक की मांग शहरों के निजी चिकित्सालय वाले करते हैं।
बीमा के नाम पर प्रशासन लगातार नागरिकों को छल रहा
पिछले कई दिनों से शासन प्रशासन नागरिकों को यह आश्वासन देता आ रहा है कि बीमा हॉस्पिटल एवम रंगोली रेस्टोरेंट को कोविड सेंटर बनाया जा रहा है, लेकिन वर्तमान में उसका कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। जबकि हमारे पास की तहसील बडनगर जिस की राजस्व आय नागदा नगर से कहीं कम है वहां पर शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के प्रयासों से 170 ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था बड़नगर क्षेत्र के नागरिकों के लिए वहां पर कर दी गई है। नगर के लिए इससे बड़ी शर्म की बात और कोई नहीं हो सकती की डेढ़ लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाले हमारे शहर में मात्र 5 आईसीयू बेड के सहारे हम कोरोना महामारी से लड़ने की बात कर रहे हैं। शासन प्रशासन की प्राथमिकता होना चाहिए कि ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था को अधिक से अधिक बढ़ाई जाए जिसके लिए ग्रेसिम जनसेवा चिकित्सालय सबसे उपयुक्त है।
निजी स्वार्थ के चलते प्रबंधन नहीं देना चाहता अस्पताल
जनसेवा चिकित्सालय को अधिग्रहित नहीं करने के पीछे जनसेवा प्रबंधन हो या शासन यह तर्क दे रहा है कि जनसेवा में दूसरे जो मरीज हैं व ओपीडी है वह बाधित होगी। प्रदेश की भाजपा सरकार, भाजपा सांसद सहित सभी नेता आखिर किस दबाव में जनसेवा चिकित्सालय को नगर के संक्रमित मरीजों के लिए कोविड सेंटर हेतु अधिग्रहित नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा नेताओं के निजी स्वार्थ की जब बात आती है तो सांसद प्रदूषण और पर्यावरण से जुड़े प्रश्नों को लोकसभा में उठाते हैं और उद्योगों से निजी हित के सारे काम करवा लेते हैं फिर जनसेवा चिकित्सालय को कोविड सेंटर हेतु अधिग्रहित करने को शासन प्रशासन पर दबाव क्यों नहीं बनाया जा रहा है यह समझ से परे है ? नेताओं ने मांग की है कि जनहित व नगर हित में ग्रासिम जनसेवा चिकित्सालय को कोविड सेंटर के लिए अधिग्रहित किया जाए।
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