नागदा - शहर में महापुरूषों की प्रतिमा लगाने का मामला एक बार फिर खटाई में पडा



NAgda(mpnews24)।  नागदा के बहुचर्चीत मुर्ती प्रकरण में गुरूवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विक्रमसिंह बुले ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के न्याय दृष्टांत के प्रकाश में अधिनस्थ न्यायालय द्वारा मुर्ती स्थापित किए जाने के संबंध में जो आदेश 10 दिसम्बर 2020 को पारित किए थे उसे स्पष्ट रूप से माननीय सर्वोच्च न्यायालय का उल्लंघन माना है और इस आदेश को अवैध, अशुद्ध एवं औचित्यहिन मानते हुए स्थिर रखने योग्य नहीं माना है, जिससे की नागदा में विभिन्न चैराहे पर निकट भविष्य में स्थापित की जाने वाली महापुरूषों की प्रतिमा का मामला खटाई में पड गया है।

सामाजिक कार्यकर्ता अभय चैपडा द्वारा अनुविभागीय अधिकारी एव दण्डाधिकारी आशुतोष गोस्वामी के न्यायालय के प्रकरण क्रमांक 14/2020 का पुर्नरीक्षण करते हुए माननीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपने निर्णय में पुर्नरीक्षणकर्ता की और से तर्क के दौरान माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एसएलपी (सिविल) 8519/2006 में पारित आदेश में दिए गए निर्देश के अनुसार राज्य सरकार को किसी भी प्रकार से सार्वजनिक रोड पर मुर्ती और स्ट्रक्चर खडा करने की अनुमती नहीं दिए जाने के आदेश हैं और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को किसी भी सार्वजनिक स्थान पर मुर्ती स्थापित करने की अनुमती प्रदान नहीं किए जाने के निर्देश दिए है। साथ ही माननीय न्यायालय द्वारा पाया गया कि एमपीआरडीसी भोपाल द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद नागदा को प्रेषित पत्र क्र. 6657/242/ओटीएच/एमपीआरडीसी/2017 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय की एसएलपी (सिविल) 8519/2006 में पारित आदेश के अनुसार एनओसी व अनुमती प्रदान नहीं किए जाने का आदेश दिया था। लेकिन संबंधित न्यायालय द्वारा उक्त आदेशों का अवलोकन नहीं करते हुए अनुचित, अवैध और अशुद्ध निर्णय पारित किया उसको स्थिर रखना माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के विपरित है एवं अनुविभागीय अधिकारी आशुतोष गोस्वामी द्वारा जो निर्णय दिया गया उसको भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन माना है।
माननीय न्याायलय के इस आदेश से शहर के महिदपुर रोड चारौहा संविधान निर्माता भीमराव अम्बेडकरजी की प्रतिमा स्थापित की जाना थी, लेकिन न्यायालयीन प्रकरण के चलते अब अन्य जो चैराहे पर प्रतिमा स्थापित की जा रही है उसकी प्रक्रिया भी रूक जाऐगी।
सामाजिक कार्यकर्ता अभय चैपडा ने बताया कि राजनीतिक दलों एव नगर पालिका परिषद द्वारा महापुरूषों के समर्थकों के साथ धोखाधडी एवं विश्वासघात किया। प्रस्ताव पारित करने के पूर्व ही उनको उच्चतम न्यायालय के आदेश एवं मध्यप्रदेश रोड ट्रांसर्पोट काॅर्पोरेशन का पत्र उनके पास था लेकिन संबंधित समाज को गुमराह करते हुए इस तरह की मुर्तीयाॅं लगाऐ जाने का गैर कानूनी और अवैधानिक प्रस्ताव नगर पालिका में पारित करते हुए क्षेत्र की जनता के साथ धोखाधडी एवं विश्वासघात किया है। नागदा नगर के कई समाज हैं जो कि काफी समय से मुर्ती लगाऐ जाने की मांग कर रहे हैं और अगर सब समाजों की मुर्ती लगाई जाती है तो यातायात के लिए भारी असुविधा होगी। मुर्तीयाॅं सार्वजनिक और खुल्ले स्थान में लगाऐ जाने से उनकी अवहेलना होगी। ऐसे में नगर पालिका के समस्त जवाबदार पदाधिकारियों एवं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को संबंधित समाजजनों से क्षमा याचना करना चाहिए और मुर्तीयों के लिए उचित स्थान चयन कर ससम्मान स्थापित करना चाहिए।
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