ग्रेसिम क्रांतिकारी कर्मचारी युनियन नागदा के नेतृत्व में शहर के सैकडों श्रमिकों ने इन्दौर पहुॅंच कर श्रमिकों के हित में अपनी आवाज बुलंद की। धरना प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा 1923 से लेकर 1963 तक श्रमिकों के हितों में बने श्रम कानूनों को समाप्त करने के साथ् ही श्रम न्यायालयों से जो श्रमिकों को न्याय मिलता था वह न्यायालय के स्थान पर श्रम विभाग के अधिकारियों से श्रमिकों को न्याय दिलवाने के केन्द्र सरकार हसीन सपने दिखाकर कोविड-19 के खतरनाक समय में भी पुरे देश के श्रमिकों की रोजी-रोटी छिनने का प्रयास कर रही है। साथ ही उद्योग प्रबंधन को केन्द्र की भाजपा सरकार वह अधिकार भी देने जा रही है जिन्हें देश के श्रमिकों ने हजारों श्रमिकों की कुरबानी देकर हांसिल किया था। महामारी के बहाने केन्द्र सरकार द्वारा श्रमिकों के अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है।
यूनियन प्रमुख भवानीसिंह शेखावत ने अपने उद्बोधन ने कहा कि जहाॅं मध्यप्रदेश सरकार ने श्रम कानूनों में संशोधन कर काम के 8 घंटे के स्थान पर 12 घंटे करना कानून में कोविड-19 के दोरान कर दिया गया है। श्री शेखावत ने कहा कि केन्द्र सरकार ने श्रम न्यायालय एवं औद्योगिक न्यायालय के समस्त अधिकार कार्यपालिका के अधिकारियों को दे दिये है जो भारत के संविधान अनुछेद 50 के विपरित होकर अवैधानिक है। श्रमिकों की छटनी, मुआवजा, वेतन वृद्धि, ग्रेज्युटि, राज्य कर्मचारी बीमा निगम के हितलाभ, श्रतिपूर्ति राशि आदि शर्तो समाप्त कर दी गई है। जिसका विरोध करने मध्यप्रदेश श्रम एवं औद्योगिक न्यायालय, अभिभाषक संघ एवं इन्टक, एटक, सीटू, एचएमएस बैंक एवं बीमा कर्मचारी संगठन सहित अन्य श्रम संगठन इन्दौर एवं उज्जैन संभाग ने मिलकर श्रमायुक्त कार्यालय का घेरा किया।
आंदोलन में नागदा से श्री शेखावत के अलावा युवा श्रमिक नेता पवन गुर्जर ने भी संबोधित किया। यहाॅं से ग्रेसिम कं्रांतिकारी कर्मचारी यूनियन एवं नगरीय निकाय कर्मचारी महासंघ के ध्रुर्व रघुवंशी, नाहरसिंह, सुरेश रघुवंशी, सत्यनारायण, मंगलसिंह, सतीशचन्द्र गुप्ता, कैलाश दडिया, फिरोज खान, अमृत परिहार, यशवन्त सोनार्थी, संजय निशाद, राकेश गुप्ता, कैलाश प्रजापत, गोविन्द्रसिंह, सुरेश प्रजापत, गोपाल गुर्जर सहित सैकडों श्रमिकों ने शिरकत की।
Post a Comment