Nagda(mpnews24)। प्रदेश के लाखों कर्मचारियों व शिक्षकों को केन्द्र के समान महंगाई भत्ता (डी.ए.) व कोरोना काल की आड में 2020 जनवरी से रोकी गई वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं दिए जाने के कारण प्रदेश का कर्मचारी वर्ग इस महंगाई के युग में काफी आर्थिक कठिनाईयों का सामना कर रहा है।
श्री गुर्जर ने बताया कि कर्मचारी वर्ग किसी भी सरकार का अभिन्न अंग होता है इनके अधिकारों पर कुठाराघात उचित नहीं है। वर्तमान में केन्द्र और राज्य के कर्मचारियों के मध्य पांच प्रतिशत डी.ए. अंतर चल रहा है वहीं 7 वें वेतनमान की जो अंतिम किश्त मई 2020 में मिलना चाहिए थी उसका भी भुगतान रोक लगाने के कारण नहीं हो पाया है साथ ही शिक्षकों को निर्वाचन, जनगणना आदि कार्यों में लगाने पर अर्जित अवकाश नगदीकरण की पात्रता का प्रावधान है लेकिन क्षैत्र के अधिकांश शिक्षक सेवानिवृत होते जा रहे है परंतु उन्हें अर्जित अवकाश नगदीकरण का कोष एवं लेखा तथा जिला कोषालय यह कह कर आपत्ति लगा रहे है कि पात्रता नहीं है और पात्रता आ रही है तो विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रमाणित नहीं है जबकि वित्तीय अधिकार तो संकुल प्राचार्य को है संकुल ने प्रमाणित कर रखा है ता बी.ई.ओ. का प्रमाणीकरण क्यों मांगा जा रहा है साथ ही अर्जित अवकाश स्वीकृति में कलेक्टर का आदेश भी मांगा जा रहा है जबकि डयुटी आदेश संकुल प्राचार्य देते हैं इस तरह कर्मचारियों, शिक्षकों को परेशान होना पड रहा है। मुख्यमंत्रीजी से इस संबंध में कर्मचारी हित में तत्काल स्पष्ट निर्देश प्रदान करने का आग्रह किया गया तथा विधानसभा में भी कर्मचारियों की बात को उठाया जाएगा।
श्री गुर्जर ने स्कूल शिक्षा व उच्च शिक्षा में रिक्त पडे पदों (शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक दोनो ही) की पुर्ति छात्रहित में तत्काल करने का आग्रह भी किया है।
श्री गुर्जर ने बताया कि कर्मचारी वर्ग किसी भी सरकार का अभिन्न अंग होता है इनके अधिकारों पर कुठाराघात उचित नहीं है। वर्तमान में केन्द्र और राज्य के कर्मचारियों के मध्य पांच प्रतिशत डी.ए. अंतर चल रहा है वहीं 7 वें वेतनमान की जो अंतिम किश्त मई 2020 में मिलना चाहिए थी उसका भी भुगतान रोक लगाने के कारण नहीं हो पाया है साथ ही शिक्षकों को निर्वाचन, जनगणना आदि कार्यों में लगाने पर अर्जित अवकाश नगदीकरण की पात्रता का प्रावधान है लेकिन क्षैत्र के अधिकांश शिक्षक सेवानिवृत होते जा रहे है परंतु उन्हें अर्जित अवकाश नगदीकरण का कोष एवं लेखा तथा जिला कोषालय यह कह कर आपत्ति लगा रहे है कि पात्रता नहीं है और पात्रता आ रही है तो विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रमाणित नहीं है जबकि वित्तीय अधिकार तो संकुल प्राचार्य को है संकुल ने प्रमाणित कर रखा है ता बी.ई.ओ. का प्रमाणीकरण क्यों मांगा जा रहा है साथ ही अर्जित अवकाश स्वीकृति में कलेक्टर का आदेश भी मांगा जा रहा है जबकि डयुटी आदेश संकुल प्राचार्य देते हैं इस तरह कर्मचारियों, शिक्षकों को परेशान होना पड रहा है। मुख्यमंत्रीजी से इस संबंध में कर्मचारी हित में तत्काल स्पष्ट निर्देश प्रदान करने का आग्रह किया गया तथा विधानसभा में भी कर्मचारियों की बात को उठाया जाएगा।
श्री गुर्जर ने स्कूल शिक्षा व उच्च शिक्षा में रिक्त पडे पदों (शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक दोनो ही) की पुर्ति छात्रहित में तत्काल करने का आग्रह भी किया है।
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