बात भृष्टाचार की करें तो वर्तमान दौर में हर कोई अवसर का लाभ उठाकर मोटा माल पकडऩे में लगा हुआ है। अस्पताल के गलियारो से लेकर हर तरफ भृष्टाचार का डंका बज रहा है। ग्लानि तो तब होती है जब यह सुनने को मिलता है कि की अस्पताल में भर्ती होने से पूर्व ही पीड़ित के बेड को पहले से बुक कर उचे दाम बेच दिया ? खेर कुछ भी हो लेकिन कोविड 19 के दौर में जो हो रहा है वह ठीक नही है। प्रसाशन को सबसे पहले कालाबाजारी करने वालो पर नकेल कसना होगी। सत्ता में बैठे लगों को भी खुल कर कडे आदेश देना होंगे जनता कभी माफ नही करेगी ? क्योकि जनता को नेताओं ने ही अच्छे दिन आ गए की बात कही थी ? लेकिन अभी तो भूख, भय और भृष्टाचार के स्वर सुनाई दे रहे है।
नागदा - भूख, भय और भृष्टाचार... कोरोना काल में पनप रहा है ?
बात भृष्टाचार की करें तो वर्तमान दौर में हर कोई अवसर का लाभ उठाकर मोटा माल पकडऩे में लगा हुआ है। अस्पताल के गलियारो से लेकर हर तरफ भृष्टाचार का डंका बज रहा है। ग्लानि तो तब होती है जब यह सुनने को मिलता है कि की अस्पताल में भर्ती होने से पूर्व ही पीड़ित के बेड को पहले से बुक कर उचे दाम बेच दिया ? खेर कुछ भी हो लेकिन कोविड 19 के दौर में जो हो रहा है वह ठीक नही है। प्रसाशन को सबसे पहले कालाबाजारी करने वालो पर नकेल कसना होगी। सत्ता में बैठे लगों को भी खुल कर कडे आदेश देना होंगे जनता कभी माफ नही करेगी ? क्योकि जनता को नेताओं ने ही अच्छे दिन आ गए की बात कही थी ? लेकिन अभी तो भूख, भय और भृष्टाचार के स्वर सुनाई दे रहे है।
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