नागदा - आॅनलाईन पढाई के नाम पर निजी विद्यालयों ने मचाई लूट, उद्योग के स्कूलों ने भी वसुली वर्षभर की फीस फिर 58 करोड की सीएसआर की राशि आखिर कहाॅं खर्च करता है उद्योग ?



Nagda(mpnews24)।  16 जून से नवीन शैक्षणिक सत्र की शुरूआत हो चुकी है। कोरोना महामारी के चलते गत वर्ष से ही बच्चों को आॅनलाईन पढाई करवाई जा रही है। वर्षभर विद्यालय का संचालन नहीं होने के बाद भी निजी विद्यालय संचालकों द्वारा अभिभावकों से संपूर्ण वर्ष का शिक्षण शूल्क जमा करवाया गया। इन सब में शहर के नामचिन उद्योग ग्रेसिम द्वारा संचालित समस्त विद्यालय अव्वल है जहाॅं वर्षभर कक्षाऐं नहीं लगी लेकिन सभी से बच्चों से संपूर्ण शिक्षण शुल्क वसुला गया। आदित्य बिरला पब्लिक स्कूल, आदित्य बिरला सिनियर सेकेण्डरी विद्यालयों जिनके द्वारा बैंक के माध्यम से शिक्षण शुल्क जमा करवाया जाता है उनके रिकार्ड की जांच यदि की जाऐ तो इनका काला चिट्ठा सामने आ जाऐगा। इन विद्यालयों द्वारा अभिभावकों से विद्यालय का संचालन किए बगैर संपूर्ण वर्ष की फीस जमा करवाई गई जबकि शाासन एवं उच्च न्यायालय के निर्देश थे कि सिर्फ ट्यूशन फीस ही जमा करवाई जाऐ। ऐसे में अभिभावकों के साथ विद्यालयों द्वारा की गई लूट की जांच शासन को कराना चाहिए।

उच्च न्यायालय एवं शासन के नियमों की भी उडाई धज्जियाॅं
कोरोना महामारी को दृष्टिगत रखते हुए कोरोना की पहली लहर में आई परेशानियाॅं तथा नौकरी, धंधे एवं अन्य व्यवसाय में भारी नुकसान को दृष्टिगत रखते हुए उच्च न्यायालय द्वारा अभिभावकों को सिर्फ ट्यूशन फीस जमा करने के ही निर्देश दिए गए थे। लेकिन शहर में संचालित आदित्य बिरला ग्रुप के विद्यालयों द्वारा संपूर्ण शूल्क को वसुला गया। एबीएसएसएस विद्यालय में अध्ययनत विद्यार्थीयों के अभिभावकों ने अपना नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि विद्यालय के प्राचार्य द्वारा कहा जाता है कि हमें प्रबंधन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आप अपने अनुसार शुल्क को ले सकते है। ऐसे में प्रबंधन की शह पर विद्यालय द्वारा संपूर्ण शूल्क अभिभावकों से वसुला जा रहा है।

महामारी के दौर में परेशानियों से जुझ रहे हैं अभिभावक
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की पहली एवं दुसरी लहर के दौरान जहाॅं लाखों लोगों की जान पुरे देश में चली गई वहीं शहर के 300-400 परिवारों में जनहानि हुई है। साथ ही लाॅकडाउन एवं कोरोना कफ्र्यू के चलते शहर का व्यापार-व्यवसाय भी काफी प्रभावित हुआ है उद्योग में भी कई माह तक उत्पादनन हीं हुआ था। बावजुद इसके उद्योग प्रबंधन द्वारा संचालित विद्यालयों में अभिभावकों के साथ कोई खुली लूट किए जाने की छुट विद्यालय के प्रबंधन को दे दिए जिसके चलते शहर में उद्योग एवं इनके द्वारा संचालित विद्यालयों के प्रति गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। मामले में हमारे प्रतिनिधि द्वारा उद्योग के जनसंपर्क अधिकारी का अधिकृत वर्शन लेना चाहा लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया।

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58 करोड की सीएसआर की राशि आखिर कहाॅं खर्च कर रहा उद्योग ?

वित्तीय वर्ष 2019-20 की ग्रेसिम इंडस्ट्रीज के प्रोफिट एण्ड लाॅस बैलेन्सशीट का अध्ययन करने पर सामने आया है कि उद्योग ने अपनी सभी इकाईयाॅं पर संचालित विद्यालयों, अस्पताल एवं अन्य स्थानों पर 58 करोड रूपये की बडी राशि सामाजिक उत्तरदायित्वों के तहत किए गए कार्यो में खर्च किये जाने का उल्लेख किया है। वहीं सीएसआर खर्च के संबंध में दी गई जानकारी में स्पष्ट उल्लेख है कि शिक्षण व्यवस्था पर बडा खर्च उद्योग कर रहा है। ऐसे में जब महामारी में पुरा देश परेशान है ऐसे में अभिभावकों के साथ संपूर्ण फीस की लूट आखिर क्यों की गई ? यदि उद्योग 58 करोड की बडी राशि प्रतिवर्ष खर्च करता है तो विद्यालय के स्टाफ को वेतन तो इसी राशि से मिल सकता है, बिल्डिंग पूर्व से बनी हुई है। ऐसे में बिना किसी खर्च के करोडों रूपये विद्यालय ने फीस की लूटमारी से वसुले जो कि एक अपराधिक क्रत्य के समान है।
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