नागदा जं.-रविवार को मनाया जावेगा भाई-बहन के अटूट बंधन का पर्व रक्षाबंधन, बाजार में दिखा उत्साह

MP NEWS24- भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन रविवार को देशभर में मनाया जावेगा। पर्व की निकटता के चलते विगत दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते बाजार में ग्राहकी का दौर थमा हुआ था, लेकिन शुक्रवार को बारिश का क्रम थमने के बाद बाजार में काफी उत्साह दिखाई दिया तथा बहनों ने भाईयों की कलाई पर बांधने के लिए राखी तथा उपहार में दी जाने वाली वस्तुओं के साथ ही पूजा के लिए श्रीफल एवं अन्य सामग्री की खरीददारी की।

बच्चों के आकर्षण का केन्द्र बनी राखीयॉं
बाजार में इस छोटा भीम, स्पाईडरमैन तथा अन्य प्रसिद्ध कॉमीक कलाकारों की राखियॉं भी खुब बीक रही है। बच्चे इन राखियों को लेकर काफी उत्साहित भी है तथा छोटे बच्चों में इस प्रकार की राखीयों का काफी क्रेज देखा जा रहा है। वर्तमान में विद्यालयों में जारी अवकाश के चलते बच्चों में त्यौहार को लेकर काफी आकर्षण एवं उत्साह देखा गया है।
प्राचीन काल से ही है पर्वो का महत्व
भारत वर्ष में प्राचीन काल से ही पर्वों का विशेष महत्व रहा है। आधुनिक प्रगति में जहां हमारा देश नई बुलंदियों को छू रहा है वही अपनी प्राचीन मान्यताओं को भी बड़ी सहजता से संजोए हुए हैं। यद्यपि कुछ पर्वों के मनाने में आधुनिकता भी आ गई है लेकिन मूल तत्व से जुड़ाव नहीं टूटा है। श्रावणी पर्व पर किए जाने वाले रक्षा विधान में वैदिक एवं पौराणिक मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाने वाला कलावा मात्र तीन धागों का समूह ही नहीं है अपितु इस में आत्मरक्षा, धर्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा के तीनों सूत्र संकल्पबद्ध होते हैं। प्राचीन मान्यताओं से इस पर्व को मानने वाले श्रद्धालू इस दिन नदियों के जल में खड़े होकर विराट भारत की महान परंपराओं का स्मरण करते हुए संकल्प करते हैं जिसे हेमाद्रि संकल्प अर्थात हिमालय जैसा महान संकल्प का नाम दिया हुआ है। जिसमें सर्वप्रथम मनुष्य को नाना प्रकार के पाप, दुराचरण और समाज विरुद्ध कर्मों से दूर रहने तथा उनके प्रायश्चित की बात कही है। अनेक प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों के बाद यज्ञोपवीत धारण कर रक्षाबंधन किया जाता है। इस संकल्प में प्राचीन भारत के वन प्रदेशों का स्मरण किया जाता है। इसके बाद पर्वत मालाओं को याद किया जाता है जिनमें से कुछ वर्तमान भारत वर्ष की सीमा से बाहर हैं।
श्रावणी पर्व के आयोजन भी होंगे
तीर्थ क्षेत्रों शिव-शक्ति उपासना स्थलों के साथ प्राचीन विराट भारत में प्रवाहित होने वाली पवित्र नदियों को संकल्प में पिरोया गया है, ताकि हम अपनी प्राचीन अखंड विरासत का स्मरण कर वर्तमान में श्रावणी पर्व पर यह संकल्प लें कि भारत की सार्वभौमिक, विश्व बंधुत्व की भावना हमें एक सूत्र में बंधने की प्रेरणा प्रदान करती रहे तथा राष्ट्र में कोई भी विघटनकारी ताकत अपना सिर न उठा सके। इस संकल्प के बाद वेद मंत्रों से अभिमंत्रित यज्ञोपवीत धारण कर हाथ की कलाई में रक्षासूत्र बांधा जाता है।
रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहिन के स्नेह के पर्व के रूप में प्रसिद्ध है। क्योंकि भाई अपनी बहनों से राखी बंधवा कर उसे यह विश्वास दिलाते हैं कि इस पवित्र बंधन के माध्यम से वह तुम्हारी सदैव देखभाल करता रहेगा। रक्षाबंधन के इस पर्व के साथ भाई-बहन के प्रेम का सूत्र बंध जाने पर सुरक्षा कवच का भाव भी प्रकट करता है।

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