MP NEWS24- पर्युषण पर्व के प्रथम दिन महासति श्री पुण्यशिलाजी ने कहा कि लाखो योनियों में परिभ्रमण करने के पश्चात् शुभ कर्माे के उदय होने से मुनष्य का भव प्राप्त हुआ है। इस शरीर का उपयोग हमको जब भी जहाँ भी हमको समय मिले साधना करना चाहिये तथा शरीर में जो हमारी आत्मा है उसको ध्यान के माध्यम से परमात्मा से मिलन का प्रयास करना चाहिये क्योंकि जिसे आप अपना समझ रहे है वह तो केवल सपना है। जिन्दगी भर की कमाई धन घर तक, पत्नी का साथ घर के डेरी दहलीज तक, परिवार का साथ श्मशान तक, शरीर का साथ चिता तक रहेगा। आपके साथ केवल पुण्य ही आयेगा। महासति श्री अनुपमशिलाजी म.सा. ने कहा कि हम समाजजन पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व मनाते है इसमें केवल त्याग, तपस्या, जप, तप, ध्यान, साधना, प्रतिक्रमण कर मनाया जाता है। इससे हमारे पापो की निर्जरा होती है।मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि 29 उपवास की साधना श्रीमती शान्ताबहन सुनीलजी वौरा मुलथानवाला, 7 उपवास प्रियांशी भामावत, 7 उपवास खुशबु छोरिया एवं 3 उपवास तेले की लड़ी श्रीमती सीमा निलेश सांवेरवाला ने पूर्ण की। आज प्रवचन एवं जाप की प्रभावना सुरेन्द्रकुमार इंदरमल पितलीया ने लाभ लिया। अतिथि सत्कार राजेन्द्र मनीष हितेश कांठेड़ ने किया। आभार चातुर्मास अध्यक्ष सुनील वौरा ने माना। श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र जैन सांवेरवाला ने अधिकतम धार्मिक आयोजनों में भाग लेने की अपील की।
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