नागदा जं.-जिन कार्याे को करने से जीवों की हिंसा होती है उनसे हमें बचना चाहिये- पुण्यशिलाजी

MP NEWS24-पूज्य महासति पुण्यशिलाजी ने कहा कि हमें अपने जीवनकाल में ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये जिससे जीवों की हिंसा, दुःख, दर्द, तकलीफ पहुंचती हो इस कार्य का परिणाम हमको सात जन्मो तक भुगतना पड़ सकता है। सभी के शरीर में आत्मा होती है और यही परमात्मा का रूप है और यही भगवान का रूप है तभी कहा जाता है कि कण-कण में है भगवान। पूज्य महासति चर्तुगुणाजी ने कहा कि घर एवं परिवार ही हमें धार्मिक एवं अधार्मिक भावनाएं उत्पन्न करते है और यही जीवन पर्यन्त हमारे काम में आती है।

मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि 18 उपवास की तपस्या श्रीमती पुष्पाजी तरवेचा एवं 20 उपवास की तपस्या निलेश भटेवरा के चल रहे है। अतिथि सत्कार का लाभ वौरा परिवार मुलथानवाला ने लिया। निलेश भटेवरा के 21 उपवास के उपलक्ष्य में महावीर भवन में चौबीसी का आयोजन पारसकुमार जीतमल इन्दौर वालो ने एवं अभयकुमार चीरोंजीलाल ने लाभ लिया। इसी प्रकार शाम को जीवदया हाल में चौबीसी का लाभ हस्तीमल गेंदालाल भटेवरा खाचरौद वालो ने लिया।
प्रवचन में पारसजी पोखरना, अनुज कांठेड, बसन्तीलाल राकेश कोलन बेरछावाला, हुकुमचन्द चपलोत, विजय कोलन, प्रेमचन्द बोहरा, रमेश तांतेड, सुरेश वौरा, नरेश औरा, शान्तिलाल भण्डारी, वर्धमान धोका, अमृत कांठेड, आत्माराम राठौड एवं गणेशीलाल परमार आदि उपस्थित थे।

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