MP NEWS24-पूज्य महासति पुण्यशिलाजी ने कहा कि मनुष्य अपने सम्पूर्ण जीवन के कार्यकाल में घर, परिवार, संसार, व्यापारिक प्रतिष्ठान में कई लोगो से निरंतर सम्पक्र में आते है लेकिन हम सुखी होना चाहते है तो दुसरों को सुख देना आवश्यक है। दुख दोगे तो दुख ही मिलना है। जो स्वयं को जानता है व ही दुसरो को जान सकता है। लेकिन आज हम बहुत स्वार्थी हो गये है अपने सुख के लिये दुसरो को दुखी कर रहे है। साध्वी चतुर्गुणाजी म.सा. ने कहा कि पूर्व जन्मो के अच्छे कर्म से ही इस जन्म में हमको मनुष्य की योनी प्राप्त होती है। एवं आत्मकल्याण की साधना हेतु जैन धर्म प्राप्त हुआ है। कर्माे का कर्ज उतारने के लिये आराधना आवश्यक है।
मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि तेले की लड़ी श्रीमती इन्दुबाला कोलन, 17 उपवास की तपस्या श्रीमती पुष्पाजी तरवेचा, 19 उपवास की तपस्या श्री निलेशजी भटेवरा के चल रहे है एवं अतिथि सत्कार का लाभ श्रीमती चंदाबाई रमेशचन्द्र सुरेशचन्द्र सुनीलकुमार वौरा मुलथानवाला परिवार ने लिया। संचालन सुरेन्द्र पितलिया ने किया। आभार सुनील वौरा ने माना। प्रवचन में संतोष चपलोत, दिलीप कांठेड़, विजय पितलीया, राकेश कोलन, मनोज चपलोत, प्रेमचन्द बोहरा, सागरमल भण्डारी, चंदनमल संघवी, गंभीरमल पावेचा, निर्मल चपलोत, वर्धमान धोका, रजनेश भटेवरा, राजेश चोपडा एवं रतनीयाखेड़ी श्रीसंघ ने धर्मलाभ लिया।
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