MP NEWS24 -रामायण ग्रंथ भारत की ही नही बल्कि संसार की अनमोल कृति है महर्षि वाल्मीकिजी ने हिन्दूओं के लोकप्रिय ग्रंथ रामायण की रचना की थी वे संस्कृत के महान ज्ञाता, व्याख्याता थे इसलिए हर वर्ष अश्विन मास की पूर्णिमा को इनका जन्म दिवस वाल्मिकी जयंती के रूप में मनाया जाता है उक्त विचार खाचरौद स्थित विधायक कार्यालय रेल्वे स्टेशन रोड पर ‘‘वाल्मीकि’’ जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम के विधायक निज सचिव स्वरूपनारायण चतुर्वेदी ने व्यक्त किए।श्री चतुर्वेदी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह भी बताया कि महर्षि ने अयोध्या के समीप तमसा नदी के किनारे घोर तपस्या की इनके बचपन का नाम ‘‘रत्नाकर’’ था इन्होने इतनी कठोर तपस्या की कि इनके शरीर पर दीमक ने बॉबी बना लिया इसी कारण इनका नाम वाल्मीकि पडा। महर्षि को संस्कृत साहित्य का आदि कवि माना जात है।
श्री चतुर्वेदी ने बताया कि जब श्रीराम ने माता सीता का त्याग किया था तब माता सीताजी ने वाल्मीकि आश्रम में ही निवास किया और आश्रम में ही लव-कुश को जन्म दिया था।
इस अवसर पर रामलाल मुकाती, सुरेन्द्रसिंह गुर्जर, धारासिंह सुरेल, नागेश्वर पाटीदार, बाबू बागेडी, चम्पालाल चौधरी, रामकिशन गुर्जर, भेरूपूरी गोस्वामी, शिवलाल मेहता, राजु परमार, रामनिवास, लक्ष्मणसिंह गुर्जर, राजेन्द्रसिंह, प्रभारी गजेन्द्रसिंह चौहान, अनिल चांपाखेडा सहित बडी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे। यह जानकारी आई.टी. सेल शहर अध्यक्ष नमित वनवट ने दी।
Post a Comment