नागदा - रेरा के तहत सही एवं निष्पक्ष जांच होने पर तीन साल के लिए जेल जाना होगा अवैध काॅलोनाईजरों को नियमों में स्पष्ट उल्लेख, संपूर्ण प्रोजेक्ट का 10 प्रतिशत जुर्माना भी लगा सकते हैं



Nagda(mpnews24)।   अनुविभागीय अधिकारी आशुतोष गोस्वामी द्वारा अनुभाग स्तर पर अवैध काॅलोनी काट कर भूखण्डों का विक्रय करने वाले काॅलोनाईजरों पर लगाम कस दी है। एसडीएम द्वारा गठित दल द्वारा लगातार जांच कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है तथा तथ्यों को एकत्रित किया जा रहा है। शासन स्तर पर प्रारंभ हुई इस कार्रवाई से अवैध काॅलोनाईजरों में हडकम्प है। वहीं रेरा कानून की तलवार भी अब इन अवैध काॅलोनाईजरों पर लटक गई है। कानून के तहत 500 वर्गमीटर से अधिक कृषि भूमि पर छोटे-छोटे भूखण्डों अर्थात प्लाॅट काटने वालों को तीन वर्ष तक की जेल तक का प्रावधान है। ऐसे में अवैध काॅलोनाईजर अब बचाव के रास्ते ढूंढने में लग गए हैं।

क्या कहता है कानून
भू-संपदा (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 में नाॅन डायर्वशन एवं रेरा पंजीयन के बिना अवैध काॅलोनी काटने वालों के विरूद्ध सख्त प्रावधान किए गए है। अधिनियम के चेप्टर 8 अपराध, शास्तियां और न्यायनिर्णयन के बिन्दु क्र. 59 (1) कहती है कि यदिक ोई संप्रवर्तक धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन करता है तो वह ऐसी किसी शास्ति के लिए जो प्राधिकरण द्वारा यथा अवधारित भू-संपदा परियोजना की अनुमानित लागत के दस प्रतिशत तक की हो सकेगी, दायी होगा। वहीं धारा (2) में इस बात का उल्लेख है कि यदि संप्रवर्तक उपधारा (1) के अधीन जारी किए गए आदेशों, विनिश्चयों या निर्देशों का अनुपालन नहीं करता है या धारा 3 के उपबंधों का उल्लंघन जारी रखता है तो वह कारावास से सिकी अवधि तीन वर्ष की हो सकेगी या जुर्मान से, जो भू-संपदा परियोना की अनुमानित लागत के दस प्रतिशत तक का हो सकेगा या दोनों से दंडनीय होगा।

एसडीएम ने दिए हैं जांच के आदेश, इन्हें बनाया दल का सदस्य
अनुविभागीय अधिकारी श्री गोस्वामी द्वारा कार्यालयीन आदेश क्र. /री-2/20/1628 दिनांक 21/10/2020 को आदेश जारी कर बगैर डायवर्शन भवन निर्माण एवं कृषि भूमि पर प्लाॅटों की बिक्री किये जाने के संबंध में नियमानुसार जांच कार्यवाही हेतु अधिकायिों, पटवारियों, कर्मचारियों का दल गठित किया है। गठित दल में एसडीएम द्वारा नागदा तहसील हेतु तहसीलदार आरके गुहा को प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया है। साथ ही दल में राजस्व निरीक्षक राकेश मिततल, रतनलाल डामोर, पटवारी अनिल शर्मा, किश्ज्ञनलाल परमार, सुनिल दत्त, अरविन्द नामदेव, अनिल परमार (चेनमैन), राधेश्याम (कोटवार) को भी शामिल किया गया है। आदेश में सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि दल जांच कर सात दिवस के भीतर प्रभारी अधिकारी को रिर्पोट प्रस्तुत करेंगे एवं प्रभारी अधिकारी विस्तृत रिर्पोट तैयार कर अद्योहस्ताकर्ता को प्रेषित करेंगे। संबंधित हल्कों के पटवारी अपने-अपने क्षेत्रों में जांच कर संबंधित दल को रिर्पोट प्रस्तुत करेंगे, इस कार्य को इस सप्ताह एक विशेष अभियान के रूप में सर्वोच्च प्राथमिकता देवें कार्य में लापरवाही बरतने पर संबंधित के विरूद्ध कार्रवाई की बात भी कही गई है।

दी जा सकती है गोपनीय सूचना
एसडीएम द्वारा गठित दल में शामिल तहसीलदार एवं अन्य सदस्यों के मोबाईल नम्बर भी कार्यालय द्वारा सार्वजनिक किए गए है। जिसके चलते कोई भी जागरूक नागरिक अवैध काॅलोनी के संबंध में जानकारी दल प्रभारी तहसीलदार श्री गुहा को उनके मोबाईल नम्बर 9893021071 पर प्रदान कर सकता है।

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क्यों पडी अधिनियम बनाने की आवश्यकता

रेरा का मतलब है रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी। संसद ने यह कानून इसलिए पास किया ताकि रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता आए और आशियाना खरीदने वालों को बिल्डरों के हाथों धोखाधड़ी से बचाया जा सके। संसद ने इस कानून को पास किया लेकिन इस कानून के तहत नियम बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को है लेकिन केंद्र सरकार ने मॉडल नियम बनाए हैं ताकि राज्य उनके आधार पर अपने राज्य के लिए नियम बना सकें। अमूमन शहर में ऐसे कई लोग है जिन्हें वर्षो पूर्व प्रलोभन देकर कुछ लोगों ने कृषि भूमि पर प्लाॅट तक काट दिए थे लेकिन उन्हें रजिस्ट्री होने के बाद भी आज तक प्लाॅटों का पजेशन (कब्जा) तक नहीं मिल पाया। रेरा ऐसे खरीददरों के हितों की रक्षा करता है, ताकि इस प्रकार की धोखाधडी अब किसी से न हो पाऐ। लेकिन आज भी शहर में ऐसे कई अवैध काॅलोनाईजर है जो बिना रेरा में रजिस्टर्ड हुए ही सैकडों बीघा कृषि भूमि पर ही प्लाॅट, भूखण्ड काट कर विक्रय कर चुके हैं। ऐसे लोगों पर लगाम लगाने के लिए ही इस कानून को बनाया गया है।
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