Nagda(mpnews24)। स्वास्थ्य सेवाऐं उज्जैन संभाग के डिप्टी डायरेक्टर एवं वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. संजीव कुमरावत ने कहा है कि कलोंजी श्वास संबंधी रोगों में बहुत ही गुणकारी होती है साथ ही कोविड संक्रमण से बचाव हेतु भी यह बहुत ही कारगर है।
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि कलोंजी का उपयोग भारत में सब्जियों और अचार के साथ एक प्रमुख मसाले के रुप किया जाता है। इसको ब्लैक सीड, ब्लैक क्युमिन भी कहते है। इसका बाटनिकल नेम नाइजिला स्टाइवा है। उन्होंने बताया कि कलोंजी एक प्रमुख मेडीसीन भी है, इसका उपयोग अस्थमा, दमा, एलर्जी, बीपी, दिल के रोग, जोड़ों के रोग, इम्युनिटी, कैंसर आदि मे किया जाता रहा है। कलोंजी के बारे मे यह यह विचार भी सर्वव्यापी है कि यह सब बीमारी का ईलाज है।डाॅ. कुमरावत ने कहा कि कलोंजी के कोविड पर प्रभाव देखने के लिये एक अध्ययन अप्रैल से जुलाई 2020 के बीच हुआ। यह स्टडी शेख जावेद मेडिकल कालेज में शोएब अशरफ की लीडरशिप मे हुई। कोविड की रोकथाम और इलाज मे विटामिन-सी, जिंक, हाइड्रोआक्सीक्लोरोक्वीन और क्वेरसेटिन का महत्वपूर्ण रोल है और यह चारो ही कलोंजी में मौजूद है, मतलब यह छोटा सा काला बीज कोविड की रोकथाम और इलाज का काॅम्बो पेक है।
क्या-क्या गुण होते हैं कलोंजी में
डाॅ. कुमरावत बताते हैं कि कलोंजी एंटीवायरल है यह कोरोनावाइरस की वृद्धि को रोकती है, इसी प्रकार एंटी आक्सीडेंट है, एंटीइंफ्लेमेटरी है, इम्युनोमाड्युलेटर है यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता मे बैलेंस रखती है। इस स्टडी में कोविड के गंभीर (माॅडरेट) और अतिगंभीर (सेवर) दोनों मरीजों को लिया गया था। उपचार मे शहद (1 ग्राम प्रति किलो प्रति दिन) और किलौंजी पाउडर (80एमजी प्रति किलोग्राम प्रति दिन) 14 दिन तक दिया। आधे मरीजों को किलौंजी का कैप्सूल दिया (ट्रीटमेंट ग्रुप) और आधे मरीजों को बिना किलौंजी के खाली कैप्सूल दिये गये (प्लेसिबो ग्रुप)। दोनो ही ग्रुप को प्रोटोकॉल के तहत कोविड का इलाज भी दिया गया।
स्टडी डिजाइन आरसीटी डबल ब्लाइंड थी, यानि मरीजों को नही पता था कि वो किलौंजी वाले केप्सूल खा रहे है या बिना किलौंजी वाले केप्सूल खा रहे है। वही इलाज कर रहे डाॅक्टर को भी नही पता था कि कौन मरीज किलौंजी खा रहा है और कौन नही। यह एक परफेक्ट स्टडी डिजाइन थी। स्टडी के रिजल्ट उत्साहवर्धक थे, जिन मरीजों को किलौंजी दी उनमे कोविड के लक्षण 4-6 दिन मे खत्म हुए और जिनको नही दी उनमे लक्षण 7-13 दिन बाद खत्म हुए। किलौंजी वाले ग्रुप मे वाइरस क्लिरियेंस 6 दिन मे हुआ जबकि बिना किलौंजी वाले ग्रुप में 12 दिन लगे। सबसे महत्वपूर्ण रिजल्ट यह रहा कि जिनको किलौंजी दी उनमे मृत्यु दर 4 प्रतिशत थी और जिनको किलौंजी नही दी उनमे मृत्यु दर 18 प्रतिशत थी। यानि किलौंजी मृत्यु दर को चार गुना कम करती है। किलौंजी हाइड्रोआक्सीक्लोरोक्वीन, रेमडेसिविर, डेक्सोना से ज्यादा प्रभावी सिद्ध हुई। किलौंजी सस्ती और आसानी से उपलब्ध दवा है इसलिए कोविड रोकथाम और इलाज मे महत्वपूर्ण साबित होगी।
इसके उपयोग में सावधानी भी रखना जरूरी
डाॅ. कुमरावत बताते हैं कि इसके उपयोग में सावधानी रखना भी बुहत ही आवश्यक है, किलौंजी ब्लड प्रेशर कम करती है, अतः जिनका ब्लड पे्रशर पहले से ही कम है वो सावधानी से उपयोग करे। इसी प्रकार मधुमेह के मरीज शहद का उपयोग भी बहुत सावधानी से करे। वैसे अभी कोविड पेनडेमिक पिरीयड मे किलौंजी के सात बीज प्रतिदिन खाना लाभदायक होता है।
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