नागदा - केमिकल डिविजन प्रबंधन ने अगस्त माह में भरभरा कर गिरी गोदाम की छत की जांच रिर्पोट को दबाया उच्च स्तरीय जांच किए जाने का सेफ्टी विभाग के अधिकारियों ने किया था दावा



Nagda(mpnews24)।   अगस्त माह में ग्रेसिम केमिकल डिविजन के एक गोदाम की छत भरभरा कर गिरने तथा उक्त घटना में श्रमिक के घायल होने की उच्च स्तरीय जांच किए जाने की बात ततसमय औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अरविन्द शर्मा ने कही थी। लेकिन घटना को तीन माह बीत जाने के बाद भी उद्योग के गोदामों की जांच की गई या नहीं तथा यदि की गई है तो उसकी रिर्पोट पर केमिकल डिविजन द्वारा अमल किया गया है या नहीं इससे जुडी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई। बताया जाता है कि उद्योग के ज्यादातर गोदाम इसी प्रकार से जर्जर हो चुके है जिसके चलते यहाॅं आऐ दिन दुर्घटनाऐं हो रही है। कुछ मामले तो सामने आ जाते हैं, लेकिन ज्यादातर में उद्योग के अस्पताल में ही उपचार करवा कर उन्हें दबा दिया जाता है। ऐसे में शासन के औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग पर भी सवालिया निशान अब उठने लगे है।

क्या है मामला
गौरतलब है कि 25 अगस्त को केेमिकल डिविजन के गोदाम में एक गंभीर घटना घटित हुई थी जिसमें उद्योग के एसबीपी प्लांट के गोदाम की छत भरभरा के नीचे गिर गए थी दुर्घटना के चलते यहाॅं पर कार्यरत एक श्रमिक गंभीर रूप से घायल हुआ थ। श्रमिक को गंभीर चोट होने के कारण उसे जनसेवा हाॅस्पिटल से उज्जैन रेफर किया गया था। बताया जाता है कि केमिकल डिविजन के एसबीपी प्लांट के गोदाम जहाॅं पर ब्लीचिंग पाउडर का भण्डारण किया जाता है में शाम 4 से 5 बजे के मध्य यह गंभीर दुर्घटना घटित हुई थी यह तो गनीमत थी कि शाम का समय होने के कारण ज्यादातर श्रमिक वहाॅं से जा चुके थे नहीं तो गंभीर हादसा भी हो सकता था। दुर्घटना में श्रमिक के पांव में गंभीर फ्रेक्चर हुआ था।

पूर्व भी हो चुके है एसबीपी प्लांट में हादसे
ग्रेसिम केमिकल डिविजन का एसबीपी प्लांट हमेशा से ही विवादों में रहाॅं यहाॅं पूर्व में भी कई गंभीर हादसे हो चुके है। एसबीपी प्लांट में कार्य करवाने वाले ठेकेदार की कार्यपद्धति भी काफी विवादित है इनके ठेके में कार्यरत कई श्रमिक पूर्व में हादसों का शिकार हो चुके है। बताया जाता है कि उक्त ठेकेदार द्वारा अनस्कील्ड श्रमिकों के माध्यम से कार्य करवाया जाता है जिसके चलते हादसे होते रहते है। बताया जाता है कि ग्रेसिम केमिकल उद्योग में ऐसे कई गोदाम है जिसमें यहाॅं उत्पादित होने वाली सामग्री का भण्डारण किया जाता है। लेकिन उक्त गोदाम वर्षो पुराने होने के कारण काफी जर्जर अवस्था में आ चुके हैं।

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सवालों के घेरे में सुरक्षा नीति

आदित्य बिरला केमिकल्स की अधिकृत वेबसाईट पर उद्योग समुह द्वारा 2 जनवरी 2019 को जारी सुरक्षा नीति को प्रस्तुत किया गया है। जिसके तीसरे काॅलम में स्पष्ट उल्लेख है कि उद्योग में उत्पादन प्रक्रिया के दौरान प्रक्रिया, मशीनरी, बुनियादी ढांचे और मानव व्यवहार में यथोचित व्यवहारिक रूप से जोखिम की पहचान कर सुरक्षित कार्य स्थान प्रदान करें। उसके बावजुद स्थानिय प्रबंधन द्वारा अपनी सुरक्षा नीति को ही धता बताते हुए दुर्घटना को आमंत्रित किया। यदि सुरक्षा नीति के तहत कार्य होता तो दुर्घटना से पूर्व ही गोदाम की स्थिति का आंकलन कर उसे दुरस्त किया जा सकता था, जो कि नहीं किया गया। इसे सुरक्षा नीति की गंभीर अवहेलना माना जाऐगा। उद्योग की सुरक्षा नीति जहाॅं सुरक्षा प्रदर्शन में लगातार सुधार करने की बात करती है, लेकिन ऐसा नागदा स्थित उद्योग में होता हुई दिखाई नहीं दे रहा है।

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आदर्श वाक्य सुरक्षा प्रथम, लेकिन गोदाम जर्जर

आदित्य बिरला उद्योग समुह अपने उद्योगों में सुरक्षा प्रथम हमारा आदर्श वाक्य है के ध्येय के साथ कार्य करने की सीख देता है। ग्रुप जहाॅं शून्य दुर्घटना अपनी नीति का हिस्सा बताता है वहीं स्थानिय केमिकल डिविजन में आऐ दिए इस प्रकार की दुर्घटनाऐ होती रहती है। इससे पूर्व भी उद्योग में वर्ष 2016 में एक गंभी दुर्घटना में एक श्रमिक की मौत हो गई थी तथा लगभग एक दर्जन से अधिक घायल हुए थे। बीते कुछ माह में क्लोरिन के रिसाव की चपेट में आने से भी कई दुर्घटनाऐं हुई है तथा ज्यादातर दुर्घटनाऐं उद्योग के चहेते ठेकेदार शर्मा बन्धूओं के ठेकों में ही होती है, जहाॅं अनस्कील्ड श्रमिकों से कार्य करवाया जाता है। ऐसे में उद्योग अपनी सुरक्षा नीति का पालन करने में अक्षम होता दिखाई दे रहा है।

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मामले में अधिकारी ने उच्चस्तरीय जांच की बात कही थी

इस पुरे मामे में औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग उज्जैन के डिप्टी डायरेक्टर अरविन्द शर्मा ने हमारे प्रतिनिधि से चर्चा के दौरान मामले की उच्चस्तरीय जांच करने तथा उद्योग के तमाम गोदामों की जांच कर सुरक्षा के उपाय किए जाने की बात कही थी। लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी मामले में क्या जांच की गई तथा क्या-क्या सुरक्ष संबंधी उपाय किए गए उनके द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई। ऐसे में श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल आज भी खडे हुए हैं।
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