डाॅ. कुमरावत ने बताया कि इंग्लैंड में सार्स कोव-2 वाइरस का नया वेरिएंट मिला है, इसका नाम वीयूआई (विरियेन्ट अन्डर इन्वेस्टिगेशन) रखा है। बताया जा रहा है कि यह पहले के वायरस की तुलना में तेजी से फैल सकता है और इसमे म्युटेशन (बदलाव) स्पाइक पर हुआ है। हालांकि अभी पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नही हुई है, फिर भी मेरा मानना है कि इसमे चिंता की बात नहीं है न ही पेनिक होने की आवश्यकता है।
डाॅ. कुमरावत ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वह अपना ध्यान निम्न बिन्दुओं पर आवश्यक रूप से रखे जिसमें कोरोना वाइरस एक ऐसा वाइरस है जिसके पास अपना खुद का प्रुफ रीडर है, अगर इस वायरस के जीन मे कोई परिवर्तन होता भी है तो यह प्रुफ रीडर उसको पकड़ लेता है और आगे नही बड़ने देता है, यानि वायरस खुद अपना म्युटेशन नही होने देता है।
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि वायरस का बीमारी पैदा करने वाला मुख्य भाग उसका स्पाइक है, स्पाइक की मदद से वायरस हमारी सेल के एसीई-2 रिसेप्टर से जुड़ता है और फिर हमारी सेल मे प्रवेश कर बिमारी फैलाता है, यह जुड़ना ताले और चाबी के जैसा होता है। उन्होंने बताया कि यदि स्पाइक में म्यूटेशन (परिवर्तन) हुआ यानि चाबी मे परिवर्तन हुआ तो वो ताले में फिट नही हो पायेगी, यानि वायरस हमारे सेल मे इंट्री नही कर पायेगा। अतः स्पाइक मे म्युटेशन होना वायरस के लिये नुकसानदेह है और हमारे लिये फायदेमंद है, इसीलिए इस वायरस के पास प्रुफ रीडर है जो स्पाइक मे म्युटेशन नही होने देता है। हमारा शरीर स्पाइक के खिलाफ कई तरह के एंटीबाडी बनाता है, इसलिए यदि स्पाइक में म्युटेशन हो भी तो कोई विषेश चिंता नही होनी चाहिए।
डाॅ. कुमरावत ने बताया कि एमआरएनए वैक्सीन दोनो तरह की इम्युनिटी ट्रिगर करता है, सेल मिडिएटेड और एंटीबाडी मिडिएटेड इम्युनिटी, इसलिए म्युटेशन से टीके पर कोई प्रभाव नही आना चाहिए। डाॅ. कुमरावत ने बताया कि उनका अनुमान है कि वायरस के म्युटेशन से पेनिक या घबराने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, परंतु सुरक्षा के सभी उपाय करना चाहिए। बिट्रेन से लाइट बंद करना, मास्क, हेंड वाश और दो गज दुरी, भीड़भाड़ पर नियत्रंण आदि जैसे सारे उपाय करना चाहिए।
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