नागदा - सिर्फ चंदा उगाही के लिए रह गए व्यापारी संगठन, व्यापारियों के दुःख-दर्द से लेना-देना नहीं



(mpnews24)।   भारतीय जनता पार्टी का शासन आने के बाद उज्जैन जिले में सबसे अधिक छापे नागदा नगर के व्यापारियों पर पड रहे हैं। जिसके चलते शहर के व्यापारियों में काफी भय एवं आतंक का वातावरण बन गया है तथा कई व्यापारी तो अब शहर से पलायन तक की सोचने लगे है। शहर में संचालित एक महासंघ तथा दो व्यापारी संगठन व्यापारियों की सुरक्षा, सहायता करने में असफल रहें। जिसका परिणाम है कि भाजपा के कट्टर समर्थक शहर के एक प्रतिष्ठित व्यापारी को अपनी पत्नि सहित जेल तक जाना पडा ओर भाजपा के समर्थन से बने व्यापारी महासंघ ने भी व्यापारी को सहयोग करने में हाथ खडे कर दिए जबकि सत्ताधारी पार्टी को देख कर ही व्यापारी इस महासंघ से जुडे थे। वर्तमान परिस्थितियों में व्यापारी काफी भयजदा है।

मात्र ज्ञापन देने वाली संस्था बन कर रह गए व्यापारी संगठन
मामले में शहर के कई व्यापारियों ने हमारे प्रतिनिधि से कहा है कि महासंघ एवं अन्य दो संगठन सिर्फ राजनीतिक दलों के ईशारे पर ज्ञापन देने के हथियार बन चुके है। शहर में सारे अवैध धंधे बेखोफ चल रहे हैं लेकिन वैद्य धंधों को चलाने में व्यापारियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड रहा है। सत्ता के दबाव के चलते एक व्यापारी संघ के नेता की नकली बीडी का केस दबा दिया जाता है वहीं शासकीय कार्य में बाधा का केस भी दबा दिया है। लेकिन गलती से गलती करने वाले व्यापारी को अपराधी के रूप में महिमामंडित कर दिया जाता है।

सिर्फ चंदा उगाने में सफल, व्यापारियों की सुरक्षा में असफल
शहर के व्यापारियों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि नगर में संचालित सभी व्यापारी संगठन सिर्फ चंदा उगाही तक ही सिमित रह गए है, लेकिन व्यापारियों की वास्तविक समस्या होने तथा किसी व्यापारी पर प्रशासनिक कार्रवाई होने पर कोई भी संगठन काम नहीं आता। वर्तमान में उज्जैन जिले में सर्वाधिक छापे नागदा शहर में डाले जा रहे है लेकिन कोई भी व्यापारी संगठन न्यायसंगत कार्रवाई की पहल नहीं कर रहा है। ऐसे में नगर के कई व्यापारी व्यापार-व्यवसाय को बर्बाद होता देख पलायन तक की सोचने लगे है।

नकली बीडी, नकली सेंव को संरक्षण देने के चलते पीस रहे सीधे-साधे व्यापारी
बताया जाता है कि शहर में धडल्ले से नकली बीडी का कारोबार होता है, कई बार कार्रवाई हुई लेकिन हर बार अवैध कारोबारियों को बचा लिया जाता है। लेकिन एक व्यापारी जो कि अपना व्यवसाय कर रहा था उस पर शासकीय कार्य में बाधा जैसी बडी कार्रवाई हो जाती है लेकिन एक भी व्यापारी संगठन ज्ञापन तक नहीं देता। अलबत्ता उस व्यापारी परिवार को खुद ही इस समस्या से लडने के लिए छोड दिया।

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व्यापारी हित में एक भी ज्ञापन नहीं, फालतु मद्दों पर असंख्य

देखा जाऐ तो शहर के व्यापारी संगठनों ने व्यापारी हित से परे कई मुद्दों पर ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारियों को दिए लेकिन जब वास्तविक व्यापारिक हित की बात आई तो किसी ने कोई ज्ञापन नहीं दिया। जबकि नकली सेंव या नकली बीडी वाले अवैध कारोबारियों को बचाने के लिए कई बार ज्ञापन दिए जाते है। ऐसे में शहर के व्यापारियों का विश्वास अब व्यापारी संगठनों से उठने लगा है। साथ ही आगामी नगरिय निकाय चुनावों में भी व्यापारी इस बार दोषी नेताओं को भी पुरा सबक जरूर सिखाऐंगे।
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