नागदा - कृषि कानूनों को लेकर हो रहे विरोध को रोकने के लिए लगाई गई निशेद्याज्ञा - स्वामी



Nagda(mpnews24)।  शासन, प्रशासन द्वारा सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर सम्पूर्ण जिले में 10 फरवरी से धारा 144 लागू की गई है जो तुगलकी फरमान होकर भाजपा की हिटलर शाही मानसिकता को दर्शाता है वर्तमान दौर में महंगाई चरम पर है युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे है किसान कृषि कानून के विरोध में सडकों पर उतरे है उद्योगों द्वारा बडी संख्या में श्रमिकों को बेरोजगार किया जा रहा है ऐसे समय में भाजपा द्वारा जिले में लागू की गई धारा 144 आम नागरिक के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

समस्याओं से जुझ रहे नागरिकों की आवाज दबाना चाहती है सत्ताधारी पार्टी
यह बात जिला कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सुबोध स्वामी ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में माध्यम से कहते हुए बताया कि जिले में धारा 144 लागू करने के पिछे भाजपा का उद्देश्य लोकतंत्र की हत्या करना है समस्याओं से जुझ रहे सभी वर्गों की आवाज को दबाना है जबकि वर्तमान में ऐसी कोई परिस्थिति निर्मित नहीं हुई है जिससे कि धारा 144 लागू करने का निर्णय शासन, प्रशासन लें वो भी 2 माह के लम्बे समय के लिए।

20 फरवरी को
श्री स्वामी ने आज अनुविभागीय अधिकारी को दो आवेदन दिये है जिसमें बढती महंगाई के विरोध में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के आव्ह्ान के पर 20 फरवरी शनिवार को होने जा रहे प्रदेश व्यापी बंद के तहत साईकिल रैली एवं ध्वनि विस्तारक यंत्र की अनुमति मांगी है वहीं दुसरे आवेदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व अन्य भाजपा नेताओं के विरूद्ध सोश्यल मिडिया फेसबुक, व्हाटसअप व अन्य साईटर्स पर बढती महंगाई, बढती बेरोजगारी के विरोध में पोस्ट डालने की अनुमति भी मांगी है।

श्री स्वामी ने कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री एवं तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2013-14 में बढती महंगाई को लेकर कई बयान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के खिलाफ दिये थे वहीं महंगाई बढने पर चुडियां भेंट करने के आंदोलन भी किये गये थे जिसकी क्लीपिंग व फोटो हमारे पास उपलब्ध है उन्हें डालने की अनुमति मांगी गई है चुंकि तुगलकी फरमान में इलेक्ट्राॅनिक संसाधन सोश्यल मिडिया के माध्यम से विधि विरूद्ध मैसेज, चित्र, कमेंट, पोस्टर आदि पर प्रतिबंध लगाया गया है। श्री स्वामी ने कहा कि सवैधानिक अधिकारों के हनन व आम आदमी की आवाज को दबाने के विरोध धारा 144 का उपयोग किया गया है जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है।
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