जारी प्रेस बयान में करणी सेना के तहसील महासचिव हिमांशुसिंह राणावत ने बताया कि ठा. जीवनसिंह शेरपुर द्वारा सामान्य एवं पिछडा वर्ग के हितों की रक्षा के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष द्वारा आरक्षण संबंधी त्रुटियों को दूर करने के साथ-साथ आर्थिक आधार पर आरक्षण की पुरजोर मांग की जाती रही है। साथ ही एट्रोसीटी एक्ट के विरूद्ध भी पुरजोर आवाज उठाई गई थी। सामान्य एवं पिछडा वर्ग की मांगों को लेकर करणी सेना प्रदेश अध्यक्ष ठा. शेरपुर द्वारा विधानसभा के घेराव का आव्हान भी किया हुआ था। इसी से घबरा कर प्रदेश सरकार द्वारा राजनीतिक दबाव में उनके विरूद्ध जिला बदर की कार्रवाई की है। श्री शेरपुर द्वारा राजनीतिक दबाव में दर्ज करवाऐ गए एट्रोसीटी एक्ट के प्रकरणों के विरूद्ध भी लम्बे समय से आवाज बुलंद की जाती रही है।
उन्होंने बताया कि ठा. जीवनसिंह शेरपुर पर जो अपराधीक प्रकरण दर्ज है जिसमें भी रतलाम पुलिस द्वारा विगत डेढ वर्षो में आज तक चालान तक प्रस्तुत नहीं किया है। ऐसे में रतलाम पुलिस द्वारा सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक दबाव के चलते ही करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष पर जिला बदर की कार्रवाई की गई है जिसकी करणी सेना नागदा कठोर शब्दों में निन्दा करते हुए एक माह के लिए स्थगित की गई कार्रवाई पूर्ण रूप से समाप्त करने एवं पुलिस अधिक्षक द्वारा दबाव में की गई कार्रवाई के चलते तत्काल स्थानांतरित किए जाने की मांग करते है।
श्री राणावत ने बताया कि करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष के विरूद्ध जिला बदर की कार्रवाई से पुरे प्रदेश में प्रदेश सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त है। श्री राणावत ने बताया कि उपचुनावों से पूर्व मुख्यमंत्री श्री चैहान ने स्वयं ठा. जीवनसिंह शेरपुर को बुलाकर करणी सेना की जो भी मांगे है उन्हें पूर्ण करने का आश्वासन दिया था लेकिन प्रदेश में स्थिर सरकार बनते ही मुख्यमंत्री अपने वादे से मुकरते हुए दिखाई दे रहे है तथा करणी सेना की मांगों से पल्ला झाडना चाहते है तथा अपराधी मामलों में फंसा कर करणी सेना से किए वादे से मुकर रहे है।
करणी सेना के महेन्द्रसिंह, धर्मेन्द्रसिंह राठौर, तेजसिंह, रविराजसिंह, सुमेरसिंह, कुलदीपसिंह, आशुतोषसिंह, आदित्यराजसिंह एवं समस्त ग्रामीण पदाधिकारी एवं करणी सेनिकों ने जीवनसिंह शेरपुर के समर्थन में पुरजोर मांग उठाई है।
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