नागदा - 70 वर्षो तक न्यूनतम किराया 10 रूपये रहा, अब 30 वसुलेगा रेल प्रशासन, यात्रियों में नाराजगी



Nagda(mpnews24)।  देश की आजादी के बाद से ही रेल विभाग नागरिकों की सुविधा के लिए यात्री गाडियों का परिचालन करता आ रहा है। विगत 70 वर्षो में रेल्वे ने जहाॅं अपना न्यूनतम किराया 5 से 10 रूपये रखा लेकिन कोरोना महामारी में आपदा में अवसर तलाश रही केन्द्र सरकार एवं रेल प्रशासन इन महंगाई भरे दिनों में आवागमन के मुख्य साधन को भी आम नागरिकों से दूर करने की ठान चुका है। विगत एक वर्ष से महामारी के दौरान आवागमन में हजारों रूपये खर्च कर चुके नागरिकों को इस बात से राहत मिली थी कि रेल्वे ने लोकल यात्री गाडियों का परिचालन प्रारंभ कर दिया है। लेकिन किराये की राशि में की गई 200 प्रतिशत की वृद्धि ने नागरिकों पर वज्रपात कर दिया है। इतना ही नहीं लोकल यात्री गाडियों में यात्रा करने वाले ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों से भी अब न्यूनतम राशि 30 रूपये ही वसुलने की तैयारी रेल प्रशासन कर रह रहा है। ऐसे में भाटीसुडा, पिपलौदा, उन्हेल, मकडावन, असलावदा, नईखेडी, उज्जैन की और यात्रा करने वालों को 200 प्रतिशत अधिक राशि किराये के रूप में अदा करनी होगी। इसी प्रकार रतलाम के रेल किराये को भी बढाकर न्यूनतम 30 रूपये कर दिया गया है तथा यह खाचरौद एवं अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू किया जाऐगा।

आपदा में कमाई के अवसर तलाश रहा रेल प्रशासन
गत वर्ष मार्च से देश में फैली कोरोना महामारी के दौरान रेल मंत्रालय द्वारा सभी यात्री गाडियों का परिचालन बंद कर दिया था। नागरिकों ने ततसमय सोचा था कि महामारी से यात्रियों को बचाने के लिए रेल मंत्रालय ने उक्त पहल की है लेकिन महामारी के दौरान अपनी संचित निधि तक जीवन यापन में खत्म कर चुके नागरिकों पर रेल प्रशासन ने बडा वज्रपात किया है तथा लोकल गाडियों के न्यूनतम किराये में 200 प्रतिशत की वृद्धि कर आम आदमी की कमर तोड दी है। ऐसे में क्षेत्र के ग्रामीणों एवं शहरवासियों रेल प्रशासन के इस निर्णय से गहरा आक्रोश उत्पन्न हो गया है। क्षेत्र के विधायक दिलीपसिंह गुर्जर ने यात्रा शुल्क वृद्वि को वापस लिए जाने को लेकर पत्र भी रेल मंत्री एवं जनरल मैनेजर को लिखा है।

प्रतिदिन नागदा अपडाउन करते हैं सैकडों यात्री
नागदा दिल्ली-मुम्बई लाईन का मुख्य जंक्शन होकर औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित है। यहाॅं प्रतिदिन सैकडों की संख्या में श्रमिक एवं अन्य शासकीय विभागों में कार्यरत कर्मचारी प्रतिदिन आते है। साथ ही उन्हेल, भाटीसुडा, पिपलौदा आदि ग्रामीण क्षेत्रों से भी ग्रामीण प्रतिदिन सब्जी, दुध आदि लाकर शहर में विक्रय करते है। उक्त सभी लोगों को अब काफी अधिक शुल्क अदा करना पडेगा। जिसका सीधा-सीधा असर प्रतिदिन बढ रही महंगाई पर भी पडेगा तथा खाद्य सामग्रीयों के दाम अत्यधिक बढ जाऐंगे।

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हमारी सरकार का दंभ भरने वालों के मुॅंह पर लगे ताले

शहर में हमारी सरकार का दंभ भरते हुए कई नेता दिखाई देते हैं जो बात-बात में 70 वर्षो में जो न हुआ वह हमारी सरकार में हो रहा है का जुमला हर भाषण में देते है। लेकिन उनकी बोलती रेल प्रशासन द्वारा की गई 200 प्रतिशत की किराया वृद्धि पर कभी नहीं खुला। इतना ही नहीं डीजल, पेट्रोल, केरोसीन, घरेलु रसोई गैस के साथ-साथ जरूरत की चिजों में हुई बेतहाशा वृद्धि पर भी कोई बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में जनता जुमलों के बीच पिसती नजर आ रही है, लेकिन नेताओं की जुगाली में कोई कमी नहीं आ रही है तथा हर विकास कार्य का श्रेय लेने वाले नेताओं के मुॅंह पर महंगाई को लेकर ताले लग चुके हैं।

इनका कहना है

रेल प्रशासन द्वारा न्यूनतम किराया 30 रूपये कर दिया है। ऐसे में लोकल यात्री गाडियों में भी अब एक्सप्रेस ट्रेन के समान न्यूनतम किराया वसुला जावेगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि महामारी के दौर में नागरिकगण बहुत आवश्यक होने पर ही रेल यात्रा करें।
मुकेश पण्ड्या, पीआरआई, रतलाम रेल मण्डल
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