नागदा - कोरोना काल में षडयंत्रपूर्वक कार्य से हटाये जाने को लेकर ग्रेसिम के वरिष्ठ अधिकारी तलब सहायक श्रमायुक्त उज्जैन ने 25 मार्च को मय दस्तावेजों सहित बुलाया



NAgda(mpnews24)।  कोरोना महामारी के दौर में कार्य से बंद कर दिए जाने की श्रमिक की शिकायत के बाद कार्यालय सहायक श्रमायुक्त उज्जैन संभाग द्वारा ग्रेसिम उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों को 25 तारीख को श्रमिक को हटाऐ जाने के संबंध में स्पष्ट स्पष्टीकरण देने हेतु मय दस्तावेजों के साथ तलब किया है। कार्य से हटाऐ जाने के बाद श्रमिक द्वारा विभाग में शिकायत दर्ज करवाई गई थी। जिस पर उक्त कार्रवाई की गई है। श्रमिक को विधिक सहायता शहर के जाने-माने ज्युडिशियल एक्टीविट्स अभय चैपडा द्वारा प्रदान की गई थी।

क्या है मामला
मामले में प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्रेसिम उद्योग में पंजीकृत स्तूति कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. ठेकेदार अक्षय गुप्ता के ठेके में कार्यरत श्रमिक हेमन्त पिता रामबाबु मीणा निवासी 30 पुरानी कोटा फाटक के पीछे आदिनाथ काॅलोनी नागदा द्वारा सहायक श्रमायुक्त कार्यालय में गुहार लगाई थी कि उसे कोविड-19 महामारी में षडयंपूर्वक कार्य से वंचित कर नौकरी से निकाल दिया गया है। कार्य से हटाऐ जाने को लेकर एक लिखित शिकायती आवेदन ठेका श्रमिक द्वारा ज्युडिशियल एक्टीविट्स श्री चैपडा के सहयोग से सहायक श्रमायुक्त उज्जैन के समक्ष प्रस्तुत किया था। जिसमें उसके द्वारा संबंधित नियोक्ता एवं ठेकेदार पर गंभीर आरोप लगाऐ थे। मामले में सहायक श्रमायुक्त कार्यालय ने श्रमिक की पीडा को समझते हुए उसे कार्य से बंद कर दिए जाने को लेकर ग्रेसिम उद्योग के वरिष्ठ कार्यकारी अध्यक्ष के. सुरेश, वित्त एवं वाणिज्य प्रमुख महावीर जैन, मानव संसाधन प्रमुख योगेन्द्र कुमार रघुवंशी, सहायक प्रबंधक कार्मिक विनोद मिश्रा एवं स्तुती कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. के ठेकेदार को 25 मार्च को मय दस्तावेजों के उपस्थित होने हेतु पत्र जारी किया गया है। सहायक श्रमायुक्त ने अपने पत्र में इस बात भी उल्लेख किया है कि यदि संबंधित व्यक्ति उक्त दिनों को उपस्थित नहीं होते हैं तो फरियादी के पक्ष में एक पक्षीय कार्यवाही भी की जा सकती है।

हजारों ठेका श्रमिकों को किया है कार्य से बंद
इस पुरे मामले में सबसे रौचक तथ्य यह है कि कोविड-19 महामारी के पूर्व उद्योग अपने वेग से उत्पादन प्रक्रिया को अंजाम दे रहा था तथा यहाॅं लगभग 2500 से 3000 ठेका श्रमिक प्रतिदिन कार्य कर रहे थे। लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद उद्योग को प्रारंभ किए जाने के दौरान ठेका श्रमिकों को कार्य पर नहीं बुलाया गया जिसके चलते हजारों ठेका श्रमिक नौकरी से निकाल दिए गए। मामले में धरना, प्रदर्शन एवं नगर बंद जैसे आंदोलन भी हुए लेकिन एक भी श्रमिक को उद्योग द्वारा वापस कार्य पर नहीं बुलाया गया। जबकि श्रमिको ंको कार्य पर रखे जाने की मांग केन्द्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, पूर्व विधायक सभी के द्वारा की जा रही थी। मामला मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान तक भी पहुॅंचा था तथा हाल में विधानसभा सत्र में श्रमिकों को कार्य से हटाऐ जाने का मामला जोर-शोर से उठा था।

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श्रमिक के हौसेले से मिलेगा इंसाफ

मामले में यह तथ्य भी सामने आया है कि एक श्रमिक के हौसले ने शहर के हजारों श्रमिकों को आस बंधा दी है। क्योंकि ठेका श्रमिक द्वारा प्रस्तुत आवेदन पर विभाग द्वारा उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित ठेकेदार को भी मय दस्तावेजों के तलब किया है। ऐसे में श्रमिक के कार्यरत होने तथा कार्य से निकाले जाने के प्रमाण स्पष्ट सामने आ जाऐंगे। कार्य से बेदखल किए गए ठेका श्रमिकों को चाहिए कि इसी प्रकार की कार्रवाई कर इंसाफ की गुहार लगाना चाहिए। इस पुरी कार्रवाई में नेताओं के जादुई प्रतिनिधिमंडल एवं हमारी सरकार का दंभ भरने वालों की पोल भी खोल कर रख दी है।
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