नागदा - नागदा-कोटा पैसेंजर में आरक्षित टिकिट से यात्रा अनिवार्य किए जाने से नागरिक हो रहे परेशान इस रूट पर यात्रा हेतु एक मात्र पैसेंजर, पूर्व में अनारक्षित काउन्टर ही मिलते थे टिकिट



Nagda(mpnews24)।  कोरोना महामारी का बहाना बनाकर रेल प्रशासन में बैठे अधिकारी रेल विभाग का तो नुकसान कर ही रहे हैं अलबत्ता यात्रियों को भी गलत नीतियों का शिकार होकर अत्यधिक यात्रा खर्च उठाना पड रहा है वहीं परेशानियाॅं भी झेलना पड रही है। वर्तमान में नागदा से कोटा की यात्रा करने हेतु एक मात्र पैसेंजर गाडी मेला है। रेल प्रशासन द्वारा यात्री गाडी क्रमांक 09802 नागदा-कोटा पैसेंजर को आरक्षित प्रक्रिया के तहत चलाया जा रहा है जिसमें यात्रा करने हेतु नागरिकों को पूर्व से टिकिट रिजसर्वेशन काउन्टर से लेना होता है। आरक्षित टिकिट लेने के कारण यात्रियों को जहाॅं अत्यधिक यात्रा खर्च देना पड रहा है वहीं इस प्रक्रिया के कारण यात्री गाडी में बैठने वालों की संख्या पर भी काफी बुरा असर पडा है। आलम यह है कि 1500 यात्रियों की बैठने की क्षमता वाली यात्री गाडी में मात्र 100 लोग ही यात्रा कर रहे हैं। आरक्षित टिकिट से ही यात्रा करना अनिवार्य होने के कारण ग्रामीण परिवेश के यात्री काफी परेशान है। जिसके चलते यात्रीयों को काफी आर्थिक एवं मानसिक परेशानी झेलना पड रही है।

क्या है मामला
कोरोना महामारी के पूर्व नागदा-कोटा पैसेंजर यात्री गाडी क्र. 09802 को अनारक्षित प्रक्रिया के तहत संचालित किया जाता था जिसमें सैकडों की संख्या में प्रतिदिन यात्री सफर करते थे। क्योंकि दोपहर के समय नागदा से महिदपुर रोड, आलोट, चैमेहला, सुवासरा, शामगढ, गरोठ, भवानीमण्डी, रामगंजमण्डी, मोडक, दरा, डकनिया एवं कोटा के काफी यात्री उक्त यात्री गाडी का उपयोग करते थे जिसमें से अधिकतर संख्या ग्रामीणजनों की हुआ करती थी। जो कम पैसे में अपनी यात्रा को सुखद तरीके से करते थे। ततसमय नागदा से कोटा तक का न्यूनतम टिकिट 35-40 रूपये ही हुआ करता था। लेकिन कोरोना महामारी के बाद रेल प्रशासन द्वारा बनाऐ गए नवीन नियमों के तहत पैसेंजर यात्री गाडी को भी आरक्षित तरीके से संचालित किया जा रहा है जिसके चलते ग्रामीण परिवेश के नागरिकों को आरक्षण करवाने में काफी असुविधा होती है। ऐसे में उन्होंने इस यात्री गाडी का उपयोग करना ही बंद कर दिया। वहीं यात्रा का खर्च भी अब काफी बढ गया है पूर्व में जो टिकिट मात्र 35-40 में आ जाता था वह अब 85 रूपये से कम में नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में क्षेत्र के नागरिकों में रेल प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश व्याप्त होता दिखाई दे रहा है।

जब अन्य यात्री गाडियों को अनारक्षित किया तो मेला एवं डेमू क्यों नहीं ?
रेल प्रशासन में बैठे अधिकारियों के निर्णयों से यात्रीयों को काफी परेशानी हो रही है। वर्तमान में नागदा से कोटा एवं रतलाम से उज्जैन की यात्रा करने वाले नागरिकों को इसका खामियाजा भूगतना पड रहा है। नागदा-कोटा यात्री गाडी संख्या 09802 एवं रतलाम से उज्जैन यात्री गाडी डेमू में कोरोना महामारी का बहाना बनाकर आरक्षित टिकिट से ही यात्रा करना अनिवार्य किया गया है। जबकि उक्त यात्री गाडियाॅं में पूर्व में अनारक्षित टिकिट तत्काल प्राप्त कर यात्रा की जा सकती थी। ऐसे में उक्त यात्री गाडियों में रेल प्रशासन की जटिल प्रक्रिया के कारण यात्रीयों की संख्या में भी काफी प्रभाव पडा है 1500 यात्रीयों के बैठने की क्षमता वाली गाडीयों में 100 यात्री भी नहीं पहुॅंच रहे हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि यात्री जाना नहीं चाहते, बल्कि इसलिए है कि रेल प्रशासन ने उक्त यात्री गाडियों में आरक्षित टिकिट से ही यात्रा किया जाना अनिवार्य किया हुआ है। रेल प्रशासन ने जल्द ही इस और ध्यान नहीं दिया तो क्षेत्र में आंदोलन जैसी स्थिति भी निर्मित हो सकती है।
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