श्री चतुर्वेदी ने पत्र में यह भी बताया कि प्रदेश में 1985 से नियुक्त एक ही पद पर शिक्षक कार्यरत है 36 वर्ष की सेवा में एक भी पदोन्नती नहीं मिली है जबकि दूसरे विभागों में समय-समय पर पदोन्नती हो रही है। शिक्षा विभाग में हजारों पद व्याख्याताओं, प्राचार्यों के वर्षों से रिक्त पडे है। प्रदेश के सैकडों विद्यालय शिक्षक विहीन है। यदि सरकार वरिष्ठ शिक्षकों को पदोन्नत (पद नाम परिवर्तन) कर देती है तो मध्यप्रदेश सरकार पर कोई आर्थिक बोेझ नहीं पडेगा। सरकार को मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस का प्रतिनिधीयों ने कई बार यह सुझाव दिया गया लेकिन लालफिताशाही आडे आ रही है यदि प्रदेश का मुखिया ठान ले, दृढ निश्चय कर ले तो यह सब संभव हो सकता है।
चतुर्वेदी ने शिक्षकों, अध्यापकों की जायज मांगों पर शीघ्र निराकरण करने तथा नित नये आदेशों से अधिकारों पर हो रहे कुठाराघात से प्रदेश का शिक्षक वर्ग आर्थिक परेशानियों से जुझ रहा है यदि सरकार ने इसको गंभीरता से नहीं लिया और शिक्षक विरोधी आदेशों पर रोक नहीं लगाई तो आगामी समय में मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रे्रस द्वारा चरणबंद्ध आंदोलन किया जाएगा।
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