नागदा - नागदाह टेकरी के संरक्षण हेतु केन्द्रीय मंत्री को लिखा पत्र



Nagda(mpnews24)।  महाभारतकालीन ऐतिहासिक स्थल नागदाह यज्ञ टेकरी को संरक्षित राज्य स्मारक पर्यटन स्थल विकसित करने हेतु ऐतिहासिक धरोहर बचाओ आंदोलन समिति संयोजक बंटू बोडाना ने केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल को पत्र लिखकर मांग की है।
पत्र के माध्यम से शहर के ऐतिहासिक स्थल महाभारत कालीन नागदाह यज्ञ टेकरी को जल्द से जल्द संरक्षण दिलवाने की मांग करते हुए केंद्र सरकार से राशि स्वीकृत करने की मांग भी की है जिससे की शहर के पौराणिक धार्मिक इतिहास को संवारा जा सके।

टेकरी संरक्षण के लिए प्रथम चरण की कार्यवाही पूर्ण
महाभारत कालीन नागदाह यज्ञ टेकरी को संरक्षित स्मारक पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए बोडाना की मांग पर एसडीएम आशुतोष गोस्वामी के निर्देश पर राजस्व अधिकारियों द्वारा उक्त टेकरी का सीमांकन कार्य पूर्ण कर टेकरी की चतुर्थ सीमाओं का ज्ञान नगर पालिका नागदा के अधिकारियों को करवाते हुए टेकरी संरक्षण की फाइल मुनपा अधिकारी को भेजी है। टेकरी को उचित संरक्षण एवं सही रखरखाव के लिए मुनपा भविष्य कुमार द्वारा टेकरी संरक्षण के दूसरे चरण में आर्किटेक्ट को बुलाने हेतु निविदा जारी करने का निर्णय लिया है ताकि टेकरी का सही संरक्षण तथा रखरखाव एवं डिजिटल डिजाइन तैयार हो सके ताकि भविष्य में किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो। शहर के ऐतिहासिक स्थल को विकसित करने के लिए नगर पालिका द्वारा सुव्यवस्थित प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा प्रोजेक्ट तैयार होने इसे टूरिज्म विभाग को भेजा जाएगा।

शासन की पुस्तक मध्य प्रदेश एक परिचय में शहर की नाग टेकरी को ऐतिहासिक स्थल को लिखित किया है तथा शासकीय सर्वे अनुसार ऐतिहासिक चिन्हित किया है। टेकरी का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है बताया जाता है कि महाभारत के योद्धा अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु तथा अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित की मृत्यु सर्पदंश से होने के कारण राजा परीक्षित के राजा जन्मेजय द्वारा शहर में चंबल तट पर विश्व प्रसिद्ध नागदाह यज्ञ किया था जिसमें नाग जाति का दहन हुआ था जिससे संपूर्ण भारत वर्ष के नाग इस यज्ञ में आकर गिरने लगे नाग वंश का विनाश रोकने के लिए आस्तिक ऋषि ने सम्राट राजा जन्मेजय से अनुरोध कर नागदाह यज्ञ रुकवाया तत्पश्चात नागों की मुक्ति के लिए सम्राट राजा जनमेजय ने मुक्तेश्वर महादेव की स्थापना की। वर्तमान में जो टेकरी जूना नागदा में स्थित है यह उसी नागयज्ञ की एकमात्र निशानी है।
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