नागदा - सिर्फ सावधानी से ही बचा जा सकता है गंभीर महामारी के संक्रमण से ईलाज के लिए लाखों रूपये की राशि भी नहीं आ रही काम, अस्पतालों में जगह नहीं, न आॅक्सीजन न दवा



Nagda(mpnews24)।  कोरोना जैसी भयंकर महामारी से विगत एक वर्ष से पुरा देश हलाकान हो रहा है। वर्तमान में कोरोना के बढते मामलों ने देश, प्रदेश एवं जिला मुख्यालयों पर हाहाकार मचा दिया है। आलम यह है कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के मिलाकर इतने मरीज प्रतिदिन जिला मुख्यालय पर पहुॅंच रहे है जितनी की वास्तविक क्षमता ही उन शहरों में ईलाज की है। ऐसे में एक-एक बेड के लिए मशक्कत करना पड रही है। शहर के नागरिकों से प्रशासन लगातार अपील कर रहा है कि सावधानी एवं फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ ही मास्क का उपयोग करने से ही इस महामारी से बचा जा सकता है। बावजुद इसके छोटे लाभ के पीछे शहर के नागरिक एवं व्यवसायी अपनी जीवन को खतरे में डाल रहे है। जिससे बचा जाना चाहिए।

आक्सीजन सहित दवाओं का अभाव, सावधानी ही सुरक्षा
प्रतिदिन प्रिंट मिडिया से लेकर इलेक्ट्रानिक मिडिया महामारी में अव्यवस्थाओं की खबरों से भरे हुए है। नागरिकों को समझना होगा कि वर्तमान में न तो जीवनरक्षक दवाऐं बाजार में उपलब्ध है और ना ही अस्पतालों में आॅक्सीजन। ऐसे में उन लोगों से इस महामारी का दर्द समझना चाहिए जिनके परिजन इस भयंकर बिमारी से वर्तमान में जुझ रहे हैं। परिजनों को अपनी चिंता किए बगैर ही एक-एक इंजेक्शन के लिए भटकना पड रहा है तथा एक हजार के इंजेक्शन के लिए 40 हजार तक चुकाना पड रहे है। आलम यह है कि 40 हजार का जीवन रक्षक इंजेक्शन वर्तमान में 1 लाख में भी उपलब्ध नहीं है। प्रतिदिन 40-50 हजार रूपये अस्पताल में बेड का खर्च आ रहा है तथा आॅक्सीजन की व्यवस्था भी स्वयं मरीज के परिजनों को ही करना पड रही है। ऐसे में यदि सिर्फ सावधानी रखकर तथा दो-चार दिन दुकान बंद रखकर इस महामारी से बचा जा सकता है तो ऐसा अवश्य कर लेना चाहिए। जिससे की परिवार एवं अपने परिजनों की सुरक्षा की जा सके।

कैसे बिगड रहे हालात
कोरोना महामारी के इस दौर में स्थिति कितनी भयानक है आप इससे ही समझ सकते है कि गुलाबबाई काॅलोनी निवासी पोरवाल समाज के एक युवक जो कि पिछले काफी समय से कोरोना संक्रमण का शिकार है। उपचार के लिए भटक रहा है। बीमार होने पर पहले गुरूनानक आॅस्पिटल में ईलाज हुआ। कोरेाना पाॅजिटिव होने के बाद उज्जैन के सरकारी अस्पताल में दो दिन तक ईलाज करने के बाद युवक को छुट्टी दे दी गई जबकि उसकी तबीयत ठीक भी नहीं हुई थी। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते युवक का आॅक्सीजन लेवल लगातार गिरता चला गया तथा वह 80 के खतरनाक स्तर पर पहुॅंच गया है। पश्चात ताबडतोड एम्बुलेंस से युवक को उज्जैन भेजा गया लेकिन सभी अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद कहीं पर भी ईलाज के लिए जगह नहीं मिली। मजबूरन युवक केा वापस नागदा लाना पडा। इस पुरी परिस्थिती में परिवारजन भी उसके सामने असहाय ही दिखाई दिए। शासकीय अस्पताल में रखने की बात पर स्टाफ ने संक्रमण के डर से हडताल की चेतावनी दे दी। अब युवक को मांगलिया स्थित धन्वंतरी अस्पताल में भर्ती किया गया है।

शहर के कई लोग घरों में ही ईलाज करवा रहे, कई की हालत गंभीर
यह तो मात्र एक मामला है शहर में ऐसे कई घर है जहाॅं कोरोना के संक्रमण से लोग ग्रसित है लेकिन डर के मारे अपने घरों में ही ईलाज करवा रहे है। आलम यह है कि महात्मा गांधी मार्ग पर कई परिवार इस बिमारी से ग्रसित है बावजुद इसके चोरी-छुपके यहाॅं दुकाने खोलने की होड मची हुई है। जवाहर मार्ग, गांधी ग्राम काॅलोनी सहित उद्योगों की स्टाफ काॅलोनी में सैकडों लोग अपना उपचार घर पर ही चोरी छिप्पे कराने को मजबूर है। अस्पतालों में बुखार, सर्दी-जुकाम एवं अन्य बिमारियों से ग्रसित मरीज प्रतिदिन सैकडों की संख्या में पहुॅंच रहे है। ऐसे में सिर्फ सावधानी ही आपको इस बिमारी से बचा सकती है।
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