नागदा - टूटती सांसों की डोर के बीच मिडिया निभाऐं अपना धर्म - चोपडा



Nagda(mpnews24)।  कोरोना महामारी की इस संकट भरी घडी में लगातार टूटती सांसों एवं संक्रमण से ग्रसित मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाऐं नहीं मिल पाने से व्यथित सामाजिक कार्यकर्ता अभय चोपडा ने मिडिया से अपना धर्म निभाने का अनुरोध किया है। जिससे की टुटती सांसों एवं असमय खोते जीवन को बचाया जा सके।


मिडिया के एक-एक शब्द आॅक्सीजन का काम करते है
चोपडा ने जारी प्रेस बयान में कहा कि वर्तमान करोना के घातक काल में पत्रकारों द्वारा लिखे गये एक-एक शब्द से सम्पूर्ण समाज को आक्सीजन मिलती है तथा इससे कई लोगो कि सांसे लोटती है। उन्होंने कहा कि हमने बहुत छापे विकास के, विरोध के, अपराध के, आर्थिक, सिनेमा, खेल, विविध, कानून, चुनाव आदि के समाचार। कुछ को हमने सीमा से आगे आकर सहयोग दिया, कुछ का सीमा के बाहर जाकर विरोध किया। किसी को राजा बनाया किसी को रंक बनाया। लेकिन हमने किसी कि सांसो का हिसाब कभी नही लगाया।


इंसानी सांसों को बचाने का दायित्व मिडिया पर
चोपडा ने कहा कि लेकिन अब हमारे आस-पास मौत का तान्डव लगा हुआ है। हमारे कई प्रिय और नजदीक रिश्तेदारो को करोना लील चुका है। अब पद, पैसा, प्रतिष्ठा कमाने का काल खण्ड समाप्त हो गया है। हम नही रहे तो सब धूल है। अब इंसानी सांसो के बचाने का दायित्व हमारे, कंधे पर आ गया है। जिसकी मृत्यु लिखी है हम उसे रोक नही सकते, लेकिन अव्यवस्था और भरष्टाचार के कारण जो अकाल मोते हो रही है। उनके लिये हमारी लेखनी को आक्सीजन के रूप मे उपयोग किया है। करोना काल में अथाह सम्पत्ति होने के बावजूद जुर्माना भरकर अपनी जान कि बाजी लगाने वाले को मरते देखा है। सब माया मोह यही रह गया। अब आप ही विचार करे कि इस परिस्थिती में अगर स्वावस्थ सुविधा भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ती रही तो हमारे परिजनो कि सुरक्षा कैसे करेंगे। अब यह लड़ाई समाज और विकास ओर अन्य मुद्दे के बजाय हमे और हमारे परिजनो कि सांसो को बचाने कि हो गई। अपने अन्दर बैठे जमीर को टटोलिये और इंसानियत कि लड़ाई में करोना नामक राक्षस को लाशो का ढेर बनाने से रोकने के लिये पिड़ीत मानवता कि आक्सीजन बनिये।

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