प्रशासन से शिक्षकों ने निवेदन किया है कि संकट के समय संक्रमण के बचाव में हम जरूर भागीदार बनेंगे किंतु हमें भी अन्य विभागों की तरह कोरोना योद्धा का दर्जा दिया जाए, ताकि भगवान ना करे कोई अनहोनी हो जाए तो परिवार अपना गुजर-बसर कर सकें। 90 प्रतिशत शिक्षकों को तो परिवार पेंशन की पात्रता भी नहीं है यदि उन्हें कुछ हो गया तो उनके परिवार का क्या होगा ?
जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता यहाँ तक कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी तक को भी यह दर्जा दिया गया है और फ्रंटलाइन वर्कर माना गया है तो हम शिक्षको को क्यों नहीं यह दर्जा दिया जा रहा है। देश में जब भी कोई महत्वपूर्ण कार्य होता है बिना शिक्षकों के पूरा नहीं होता है फिर शिक्षकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों किया जा रहा है ? अन्य सभी विभाग के विभाग प्रमुखों ने अपने कर्मचारियों के लिए इस संबंध में अभी तक आदेश जारी कर दिए हैं किंतु शिक्षा विभाग ने अभी तक इस संबंध में आदेश जारी नहीं किया है।
शिक्षक साथी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं व आशाकार्यकर्ताओं तथा पंचायत सचिवो के साथ गांव गांव कोरोना का सर्वे कर रहे हैं लेकिन इनमे से शिक्षको छोड़कर शासन ने सभी को कोरोना योद्धा माना है जिससे शिक्षको मे गहरा रोष व्याप्त हो गया है। उक्त बात रखते हुए राज्य शिक्षक संघ तहसील नागदा खाचरौद के अध्यक्ष पूरालाल गुजराती नेय मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर तत्काल शिक्षको को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग की है।
Post a Comment