कोरोना मरीजों के उपचार हेतु आवश्यक होता है आईसीयू
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की पहली लहर में शहर में संक्रमण दर काफी कम थी। ऐसे में ज्यादातर मरीजों का उपचार जिला मुख्यालय पर ही किया गया। दुसरी लहर में कोरोना अधिक फैला तथा जिला मुख्यालय पर ही बेड की संख्या कम पडने लगी तो प्रशासन ने अन्य विकल्पों पर भी ध्यान दिया तथा अप्रैल माह के मध्य में 17 तारीख को सिविल हाॅस्पिटल के आईसीयू वार्ड में कोरोना मरीजों को भर्ती कर उनका उपचार प्रारंभ किया गया। जहाॅं सेंट्रल लाईन से आॅक्सीजन भी उपलब्ध थी। आईसीयू संचालन के लिए चिकित्सकों एवं स्टाफ की विशेषरूप से ड्यूटी लगाई गई। सिविल हाॅस्पिटल के आईसीयू में अब तक 49 मरीजों को भर्ती कर उनका उपचार किया गया जिसमंे से 25 लोग पूर्ण स्वस्थ्य होकर घर लौटे वहीं चार लोगों को अन्यंत्र स्थान पर रेफर किया गया तथा 11 लोगों को इस गंभीर बीमारी से अपनी जान गंवानी पडी। वर्तमान में भी निरंतर 7 मरीजों का उपचार आईसीयू में किया जा रहा है।
चिकित्सकों ने निभाया अपना कर्तव्य
कोरोना जैसी गंभीर संक्रमण वाली बीमारी का उपचार शहर में ही किए जाने के बडे फैसले को अस्पताल के चिकित्सकों एवं स्टाफ ने भली-भांति निभाया। आईसीयू प्रभारी के रूप में हाॅस्पिटल के चिकित्सक डाॅ. संदीप डूंगरवाल के अलावा ब्लाॅक मेडिकल आॅफिसर डाॅ. कमल सोलंकी, शहर के जाने-माने चिकित्सक डाॅ. सुनील चैधरी एवं डाॅ. हरिशंकर कोष्टा ने भी सिविल हाॅस्पिटल में विजिटिंग डाॅक्टर्स के रूप में अपनी सेवाऐं दी। आईसीयू में कार्यरत अन्य स्टाफ भी अपनी महती भूमिका निभा रहा है तथा डाॅ. संजीव कुमरावत के अनुभवों का लाभ भी मिल रहा है।
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