नागदा - मौत के खोफ के बीच जीवन की जद्दोजहद, डराने लगे है मुक्तिधाम एवं कब्रिस्तान के आंकडे



Nagda(mpnews24)।  कोरोना महामारी की दुसरी लहर ने पुरे देश, प्रदेश के साथ ही शहर में मौत का खोफ भर दिया है। प्रतिदिन किसी अपने की इस बिमारी से दुःखद मृत्यु होने के समाचार प्रसारित हो रहे हैं। रविवार को भी शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार में हुई दुःखद घटनाओं ने पुरे शहर को स्तब्ध कर दिया है। इतना ही नहीं शमशान एवं कब्रिस्तान में प्रतिदिन होने वाले अंतिम संस्कारों के आंकडों ने भी शहरवासियों को डरा दिया है। आंकडे जहाॅं बेहद भयावह है वहीं पुरे शहर में महामारी का खौफ पसरा हुआ है। बावजुद इसके कई नागरिक आज भी बेखबर सडकों पर निकलने की हिमाकत कर रहे है, ऐसे में महामारी के खतरे को समझते हुए पूर्ण ऐहतियात बरतने की आवश्यकता है।

महामारी लेती जा रही विकराल रूप
शहर में प्रतिदिन किसी न किसी परिचित व्यक्ति के असमय ही चले जाने के समाचार मिल रहे है। रविवार को शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी पवन एवं गगन पोरवाल की माताजी का दुःखद निधन हो गया। वहीं एक अन्य व्यवसायी विनोद गनेरीवाल की धर्मपत्नि एवं उनकी भाभीजी का भी दुःखद निधन हो गया। इन असमय होने वाली मौतों ने पुरे शहर को गमजदा कर दिया है। साथ ही महामारी के इस विकराल रूप को भी दर्शा दिया है। शहर के प्रत्येक मोहल्ले में वर्तमान में भय पसरा हुआ है।

हर परिवार में है संक्रमित हो जाने पर उपचार का डर
महमाारी में सरकार की लापरवाही की पोल भी खोल कर रख दी है। देश की सर्वोच्च संस्था संसद की समिति ने कोरोना महामारी को लेकर सरकार को मार्च के पूर्व ही चेता दिया था कि महामारी का रूप काफी घातक होने वाला है। लेकिन उंचे पदों पर बैठे जिम्मेदारों ने समिति की बातों पर ध्यान नहीं दिया जिसका परिणाम आज जनता को इस तरह भूगतना पड रहा है। दुसरी और संसाधनों के अभाव एवं अस्पतालों में हो रही अव्यवस्था ने भी आम नागरिक को झंझोर कर रख दिया है। अस्पतालों में फैली अव्यवस्थाओं का डर इतना है कि सैकडों नागरिक घरों में ही अपना उपचार करवा रहे है। अस्पतालों की लूट-खसौट एवं अव्यवस्थाओं पर अंकूश लगाने में भी सरकार नाकाम ही साबित हो रही है।

डराने लगे है मुक्तिधाम एवं कब्रिस्तान के आंकडे
शहर के नागरिकों को किस प्रकार से महामारी लील रही है इसके जिक्र मात्र से ही कोई भी सीहर उठता है। विगत सप्ताह के मुक्तिधाम एवं कब्रिस्तान के आंकडों पर गौर किया जाऐ तो पहली बार एक दर्जन से अधिक लोगों का अंतिम संस्कार मुक्तिधाम पर एक दिन में हो चुका है। साथ ही कब्रिस्तान में दफनाऐ जाने के आंकडे भी महामारी की भयावहता को बयां कर रहे है। यहाॅं भी लगभग एक दर्जन का आंकडा एक दिन का पहुॅंच चुका है। ऐसे में शहर के प्रत्येक नागरिक में जीवन की जद्दोजद मन ही चल रही है।

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मुक्मरानों को नहीं पडता कोई फर्क

देश में महामारी विकराल रूप ले चुकी है, लेकिन देश, प्रदेश एवं क्षेत्र के हुक्मरानों को इसका कोई भी फर्क महसुस होता दिखाई नहीं देर रहा है। कोई आपदा में भी अवसर ढूंढ रहा है तो कोई अपनी जिम्मेदारी से विमुख है। क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधियों ने बडी-बडी राशि की घोषणा की है राशि आ भी गई है लेकिन धरातल पर अभी भी वही ढाक के तीन पात बने हुए है। संसाधनों का अभाव अभी भी बना हुआ है। बिनाकुछ करे-धरे भी दुसरों के कार्यो पर फोटो खिंचवाने में कोई भी पीछे नहीं है।
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