हमारे प्रतिनिधि से चर्चा के दौरान डाॅ. पाल ने कहा कि नागदा में वर्तमान में कोरोना के जो भी मरीज संक्रमित हो रहे हैं वह चिकित्सकों से काफी लेट परामर्श ले रहे है। इसी के चलते वह गंभीर रूप से बिमार हो रहे हैं तथा कई की मृत्यु भी हो रही है। डाॅ. पाल ने कहा कि वर्तमान में कोरोना का स्ट्रेन काफी मजबुत है तथा खतरनाक भी है। इसको हल्के में लेते हुए घर में साफ-सफाई नहीं रखते, मास्क नहीं लगाते, सेनेटाईजर का उपयोग नहंी करते ऐसे लोगों में बिमारी काफी फैल रही है। उन्होंने कहा कि साथ ही छोटा-मोटा लक्षण दिखाई देने पर भी घर पर उपचार नहीं करते हुए तत्काल चिकित्सकों को दिखाना चाहिए तथा उनकी सलाह लेते हुए उसी आधार पर दवाई एवं जांच करवाना चाहिए। स्वयं के विवेक से उपचार करने से काफी परेशानी हो सकती है।
फेफडों पर आ रहा सीधा प्रभाव
डाॅ. पाल ने कहा कि कोरोना का यह स्ट्रेन काफी खतरनाक है तथा सीधे फेफडों पर सीधे अटैक कर फेफडों को बहुत जल्द खराब कर देता है। उन्होंने कहा कि इससे बचाव हेतु सावधानी रखते हुए मास्क पहने, सोश्यल डिस्टेंसिंग का पालन करें, वस्त्रों का साफ रखें, बच्चों-बुजुर्गो को दूर रखें, भीडभरे आयोजनों में जाने से परहेज करें तथा किसी भी प्रकार के लक्षण आने पर तत्काल चिकित्सकों को दिखाना चाहिए।
डाॅ. पाल ने कहा कि जो मरीज लक्षण आने के बाद भी चिकित्सकों को दिखाने में देरी करते हैं ऐसे मरीज गंभीर रूप से बिमारी का शिकार हो रहे हैं तथा ऐसे ही मरीजों की मृत्यु भी हो रही है। उन्होंने कहा कि सिविल हाॅस्पिटल में कोरोना सेंटर बनने से नागरिकों को मदद मिली है तथा शासन स्तर पर भी काफी मदद की जा रही है। साथ ही शहर के निजी चिकित्सकों द्वारा भी इस मुश्किल समय में अपनी सेवाऐं निरंतर दी जा रही है। उन्होंने सभी से अपील की है कि किसी भी प्रकार के लक्षण आने पर तत्काल डाॅक्टर को दिखाऐं तथा अपने हिसाब से दवाई आदि नहीं लें।
वायरस फेफडों तक पहुॅंचने के बाद ही पड रही आॅक्सीजन की जरूरत
डाॅ. पाल ने बताया कि शुरूआती लक्षण में ही यदि विशेषज्ञ चिकित्सकों से उपचार करवा लिया जाता है तो मरीजों को आॅक्सीजन की आवश्यकता भी नहीं पडेगी। उन्होंने बताया कि मुॅंह एवं नाक तक जब तक वायरस रहता है तब तक सांस लेने आदि में कोई तकलीफ नहीं आती है तथा संक्रमण खतरनाक भी नहीं होता। संक्रमण फेफडों तक पहुॅंचने के बाद ही आॅक्सीजन आदि की आवश्यकता लगती है। ऐसे में यदि शुरूआती दौर में ही उपचार मिल जाऐगा तो आॅक्सीजन की भी आवश्यकता मरीजों को नहंी होगी। साथ ही शुरूआत लक्षण के दौरान ही रेमडेसिविर इंजेक्शन आदि की आवश्यकता भी नहीं पडती है। सिर्फ गंभीर बिमार मरीजों को ही इंजेक्शन की जरूरत पडती है वह भी चिकित्सकों की उचित सलाह के बाद ही दिया जाता है।
योगा, प्राणायम आदि से आॅक्सीजन लेवल बढा सकते है
डाॅ. पाल ने कहा कि 92-93 तक आॅक्सीजन लेवल तक घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया कि योगा, प्राणायाम तथा लेटने के तरीके से भी आॅक्सीजन लेवल बढाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सीटी स्कैन भी हडबडाहट में न कराऐं। यदि किसी संक्रमित के संपर्क में भी आऐ हैं तो चिकित्सकों की सलाह उपरांत ही सीटी स्कैन करवाना चाहिए। डाॅ. पाल ने बताया कि वर्तमान में वायरल इंफेक्शन आदि भी चल रहा है ऐसे में किसी भी प्रकार के लक्षण आने पर घबराने के बजाए उचित चिकित्सकीय सलाह लेंने से पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो जाऐंगे।
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