श्री गुर्जर ने कहा कि सरकार एक तरफ तो कह रही है कि पर्याप्त मात्रा में सोयाबीन के उन्नत बीज की कोई कमी नहीं है वहीं क्षैत्र में उन्नत किस्म के बीज न होने के कारण किसान इधर-उधर भटक रहे है गत वर्ष अतिवृष्टि के कारण सोयाबीन फसल खराब हो गई थी इसके चलते बीज का अभाव है।
श्री गुर्जर ने बताया कि वर्तमान में खुले बाजार में सोयाबीन बीज के दाम दस हजार रूपये क्विंटल के बने हुए है क्षैत्र में खरीफ फसल के रूप में लगभग 90 प्रतिशत तथा क्षैत्र में लगभग 95 हजार हेक्टेयर हिस्से में सोयाबीन फसल ही बोई जाती है बाजार में सोयाबीन बीज लगभाग दो गुने भाव होने से क्षैत्र के किसानों के सामने संशय की स्थिति निर्मित है। बीज निगम 60 किलो प्रति किसान बीज दे रहा है जो उंट के मूंह में जीरे के समान है। कृषि विभाग एवं कृषि साख समितियों क कहना है कि शासन को कई बार मांग पत्र भेज चुका है लेकिन अभी तक कोई सा भी बीज उपलब्ध नहीं कराया गया है।
श्री गुर्जर ने सरकार प्रमुख से मांग की है कि क्षैत्र के अन्नदाताओं को वर्षा पूर्व पर्याप्त मात्रा में सोयाबीन, उडद, मक्का आदि की बीज व यूरिया आदि खाद की उपलब्धता कराई जाए। श्री गुर्जर ने यह भी बताया कि सेवा सहकारी संस्थाओं के माध्यम से केसीसी (शुन्य प्रतिशत) ऋण प्रदाय करने में तेजी लाए जाने के साथ यह निर्देश प्रदान करें कि जिन किसानों का पूर्व कमलनाथ सरकार में ऋण माफ हुआ है उनकी राशि खाते में विलम्ब से विभाग द्वारा समायोजित की उन किसानों को ब्याज राशि सरकार उपलब्ध कराएं या माफ करें ताकि उन किसानों के नए नारमल तैयार हो सके। ऋण माफ होने के बाद राशि समायोजित करने में सरकार व विभाग को लेट लतिफि का खामियाजा किसान क्यों भुगते।
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