आखिर क्यों बनी ऐसी स्थिति
बीते कुछ माह पूर्व की गतिविधियों पर यदि ध्यान दिया जाऐ तो ऐसा लगता है कि भूमि के व्यय परिवर्तन को अवैध काॅलोनी काटे जाने का नाम देकर एवं अन्य कारणों से कई समाजसेवीयों को बीते कुछ माह में प्रशासनिक कार्रवाईयों ने काफी प्रताडित किया। शहर के नामचिन व्यापारियों के साथ-साथ अन्य ऐसे व्यक्तियों जो कि समाजसेवा के माध्यम से कई दिन-दुखियों की मदद किया करते थे उन्हें भी इस प्रताडना का दंश झेलना पडा था। प्रशासन की कार्रवाईयों का आलम यह था कि जिन मामलों में मात्र जुर्माना आदि की कार्रवाई ही होना थी ऐसे मामलों में भी अपराधिक प्रकरण तक बना दिए गए। ऐसे में कोरोना की दुसरी लहर में प्रताडित समाजसेवी ज्यादा सुर्खीयों में नहंी आऐ।
जरूरतमंदों को झेलना पडी परेशानी
सत्ता पक्ष एवं राजनेताओं के ईशारे पर प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसे कई समाजसेवीयों को प्रताडित किया। जिसके चलते कई जरूरतमंदों को कोरोना कफ्र्यू के दौरान आर्थिक एवं सामाजिक मदद नहीं मिल पाई। प्रशासन ने भी कोरोना की पहली लहर के समान आंगनवाडीयों के माध्यम से ऐसे जरूरमंदों को चिन्हित कर न तो खाद्य सामग्री प्रदान की और ना ही अन्य कोई मदद। सरकार द्वारा तीन माह का राशन अवश्य एकमुश्त प्रदान करने के निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन वह किसी भी परिवार के लिए नाकाफी होते है। ऐसे में महंगाई के इस दौर में प्रशासन की कार्रवाईयों का खामियाजा गरीबों को भूगतना पडा है।
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