भ्रष्ट्राचार की जांच का मुद्दा उठा रहे थे जैन
यह आरोप लगाते हुए विधायक दिलीपसिंह गुर्जर ने कहा कि आरटीआई कार्यकर्ता बकुलेश ओरा पर खाचरौद पुलिस द्वारा आईटी एक्ट के तहत झुठा मुकदमा दर्ज करना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। गुर्जर ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता बकुलेश जैन द्वारा खाचरौद के राम मंदिर के जीर्णोद्वार के 58 लाख रूपये में हुए भष्ट्राचार के मामले को ना उठाने हेतू दबाव बनाने हेतू झुठा प्रकरण बनवाया गया है। पुलिस द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशो की अवहेलना करते हुए 67, 68, 69 आईटी एक्ट में जानबूझकर झुठा प्रकरण पंजीबद्व करने तथा ऐसे प्रकरणों में उच्च न्यायालय के थाने पर 7 साल से कम सजा वाले अपराध में जमानत देने के आदेश पर कई गम्भीर और पुराने अपराध में संलग्न आरोपियो को संरक्षण देकर थाने पर ही जमानत दी गई है परंतु बकुलेश जैन को घर से उठाकर लाकर गिरतार कर जमानत का लाभ नही देने एवं देश मे पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद आईपीसी की धारा 505 में प्रकरण पंजीबद्ध करने और तीसरे व्यक्ति की रिपोर्ट पर गैर कानूनी तरीके से आईपीसी की धारा 295 लगाने की तीव्र शब्दों मे निंदा, भत्र्सना करते हुए मौलिक अधिकार हनन कर व्यक्तिगत आजादी को छीनकर सत्तापक्ष के इशारे पर पंजीयो की कूटरचना कर झूठी एफआईआर की जांच कर दोषी अधिकारियों के विरूद्ध शीघ्र वैधानिक कार्यवाही करने की मांग जिला पुलिस अधीक्षक से की है।
माननीय न्यायालयों के आदेश की भी अवहेलना की गई
श्री गुर्जर ने कहा कि सभी को विदित है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण अभी देश और दुनिया में परिस्थितियां सामान्य नहीं है। स्वयं सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अभी के हालात में नेशनल इमरजेंसी का टाईम है। ऐसी परिस्थितियों मेे सुप्रीम कोर्ट और म.प्र. उच्च न्यायालय ने जेल में कैदियों की संख्या को सीमित करने के आशय के समय-समय पर विभिन्न आदेश जारी किए गए है। हमारे प्रदेश के माननीय मुख्य न्यायाधीश द्वारा मई माह में पारित किए गए ऐतिहासिक आदेश में पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि सात साल तक की सजा से दंडनीय किसी भी अपराध में आरोपी को गिरतार नहीं किया जावे। फिर भी खाचरौद पुलिस द्वारा मनमानी करते हुए जानबुझकर बकुलेश जैन की गिरतारी की कार्यवाही की गई है। पूरे मामले को देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि मामला बनता नहीं यदि कोई अपराध मान भी लिया जाए तो धाराओं के अनुसार दर्ज अपराध सात सल से कम सजा वाले अपराध की श्रेणी में आयेगा। तब यदि पुलिस द्वारा कोई गिरतारी की गई है तो पुलिस को यह बताना होगा कि कौनसी विशेष परिस्थितियां विद्यमान थी कि बगैर गिरतारी के प्रकरण में कार्यवाही नहीं हो सकती है। पुलिस एवं प्रशासन ने भी इस प्रकरण में गिरतारी करके माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की खुले तौर पर अवमानना की है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश होने के बाद भी पुलिस प्रशासन द्वारा कार्यवाही करना पुलिस प्रशासन की र्दुभावना बताता है।
प्रकरण की निष्पक्ष जांच हेतु मिलेंगे उच्च अधिकारियों से
श्री गुर्जर ने कहा कि कांग्रेस का एक प्रतिनिधि मण्डल एसपी, आईजी और डीजीपी से मिलकर इस सम्पूर्ण प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने की मांग करेगा। उक्त झुठे प्रकरण को विधानसभा में उठाकर यदि आवश्यकता पडी तो हाईकोर्ट से भी न्याय प्राप्ति हेतू कार्यवाही की जावेगी। सत्ता के नशे में मदहोश होकर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुली अवमानना जो पुलिस प्रशासन कर रहा है उसके लिए हम पृथक से इनके खिलाफ न्यायालय अवमानना की कार्यवाही की जाएगी।
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