नागदा - सिर्फ मनुष्य गति मे ही धर्म करके भवसागर पार किया जा सकता है - मुनि चन्द्रयशविजयजी सिद्धितप तपस्वियों के हुए वधामने, 11 वर्ष के बालक-बालिका भी जुड़े सिद्धीतप से



Nagda(mpnews24)।  चातुर्मास के दौरान विराजित मुनि चंद्रयशविजयजी एवं जिनभद्रविजयजी ने धर्मसभा में कहा कि डूबने में कोई मेहनत और पुरुषार्थ नही करना पड़ता है। संसार में डूबने के अनेक मार्ग है लेकिन तैरने के भी बहुत मार्ग है। तैरने के लिये सम्पूर्ण प्रयास करना है, सिद्धितप एक तरह से तैरने का प्रयास है। पृथ्वीलोक पर ही इस भव सागर से तैरने का प्रशिक्षण मनुष्यो को मिल सकता है। नरक मे धर्म सुना नही जा सकता। प्रवचन पश्चात् सिद्धितप तपस्वियों के वधामने का सुन्दरतम आयोजन श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति के द्वारा पुज्य मुनिवर के सानिध्य में आयोजित किया गया। जिसमें सर्वप्रथम प्रभु की प्रदिक्षणा देकर श्रीफल एवं अक्षत अर्पित किये गये। तत्पश्चात् सभी तपस्वियों को तिलक, अक्षत एवं श्रीफल भेंट कर तपस्वियों की अनुमोदना की गई एवं पूज्य गुरूवर को केसर कंकू से बधाया गया।
तपस्या के अन्तर्गत 11 वर्ष की उम्र के बालक-बालिकाओं ने भी इस कठोर तपस्या का पचक्खाण लिया, जो आकर्षक का केन्द्र रहे। सभी श्रीसंघ सदस्यो ने उनकी अनुमोदना की। शुक्रवार से  45 दिनो तक चलने वाले सिद्धितप के अंतर्गत 36 उपवास प्रत्येक आराधक द्वारा किये जायेंगे एवं नवकार मंत्र के जाप व प्रभु की पुजा अर्चना की जावेगी। उपरोक्त समस्त कार्यक्रमो में श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति के सभी सम्मानित सदस्यो की उपस्थिति रही।
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