Nagda(mpnews24)। पौषधशाला में चातुर्मास के दौरान विराजित सुप्रसिद्ध जैनसंत द्वारा चन्द्रभान उदयभान चरित्र एवं उत्तरायण सुत्र का वाचन करते हुए बुधवार को सैकड़ो श्रद्धालुओं के बीच धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य हेमेन्द्रसुरिश्वरजी के शिष्यरत्न एवं आचार्य ऋषभचन्द्रसुरिश्वरजी के आज्ञानुवर्ती मुनि चंद्रयशविजयजी एवं जिनभद्रविजयजी ने प्रवचन में कहा कि रेगिस्तान मे जल, पतझड़ मे फल, बीमारी में बल वैसे आत्मा का मनुष्य जन्म दुर्लभ है। चौरासी लाख जीव योनी मे भटकने के बाद मिले मनुष्य जीवन को आसानी से गवाना नही। दुर्लभता से प्राप्त वस्तु का बद्धिमता से उपयोग करना चाहिये। हमारा जन्म कल्पवृक्ष से भी मूल्य वान है। कल्पवृक्ष दस प्रकार के है, खाना, कपड़ा, बर्तन, मकान, संगीत, वाद्ययंत्र। आदिनाथ भगवान की नीतियों के प्रशिक्षण के आधार पर कल्पवृक्ष समाप्त हो गये। सुख-सुविधा और आमोद-प्रमोद के लिये हमें यह भाव नही मिला। मनुष्य भाव नियम संयम व्रत के लिये। अमेरिका की समृद्ध प्रगति देखने हम अमेरिका जाना चाहते है। लेकिन अमेरिका के लोग संस्कृति अध्यात्म धर्म को देखने भारत आना चाहते है। देवता धर्म व्रत करने के लिये मनुष्य बनना चाहते है और मनुष्य देवलोक मे सुख लेने जाना चाहता है। हमारा मनुष्य जीवन भोग के लिये नहीं तप के लिये बना है।
नगर में सर्वप्रथम बढ़ते क्रम में एक से लगाकर आठ तक उपवास करने वाले सिद्धीतप के आराधको के साथ गुरूवार 29 जुलाई को दोपहर 3 बजे सामुहिक कलश भरने के साथ सिद्धीतप का प्रारम्भ होगा जिसके साथ ही सामुहिक धारणा का आयोजन किया जा रहा है। सिद्धीतप को लेकर समाज में भारी उत्साह का माहौल है। श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति ने ज्यादा से ज्यादा इस तप में जुड़कर अपने जीवन को मोक्ष मार्ग पर लेजाने का अनुरोध किया है।
कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील हेमन्त कांकरिया, मनीष व्होरा, हर्षित नागदा, रितेश नागदा, राजेश गेलडा, निलेश चौधरी, सुनिल कोठारी, अभय चोपडा, सुरेन्द्र कांकरिया, सोनव वागरेचा, ब्रजेश बोहरा, पारसमल गांग, सुशील हिंगड, ऋषभ नागदा, आशीष चौधरी, यश गेलडा, कमलेश नागदा, राकेश ओरा (प्रेमभाव), राजकुमार भारतीय, सुरेन्द्र संचेती, प्रकाश हिंगड सहित श्रीसंघ सदस्यो ने की है।
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