क्यों बिगडी व्यवस्थाऐं
पूर्व में कोविड-19 के टीके हेतु उन्हीं लोगों को वैक्सीनेशन सेंटर जाना होता था जिनके द्वारा ऑनलाईन स्लॉट बुक किया गया था। बाद में प्रशासन ने व्यवस्थाओं को बदलते हुए टोकन प्रणाली को प्रारंभ किया जो कि ऑनलाईन से ज्यादा बेहतर थी। लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप एवं दबाव की नीति के कारण प्रशासन को इस अच्छी व्यवस्था को बदलना पडा तथा पहले आओ पहले पाओं की तर्ज पर जो पहले लाईन में लगा उसको टीका लगाने की व्यवस्था प्रारंभ कर दी गई। हालांकि प्रशासन ने पहली डोज के लिए फ्रंटलाईन वर्करों एवं बुजुर्ग नागिरिकों के लिए पृथक से व्यवस्था कर रखी थी। लेकिन द्वितीय डोज इतने अधिक लोगों की पेंडिग हो चुकी है कि अब द्वितीय डोज के लिए भी लम्बी-लम्बी कतारें लग रही है।
एसएमएस आने के बाद भी नहीं लग पा रहा टीका
टीका लगाने हेतु प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली की पोल उन्हीं का सिस्टम खोल रहा है। जिन लोगों ने टीके की पहली डोज लगवा ली है उन्हें सिस्टम स्वतः ही मैसेज भेज कर द्वितीज डोज संबंधित तारीख के मैसेज टीका लगाने के लिए भेजे जा रहे है। ऐसे में सैकडों लोगों को प्रतिदिन मैसेज पहुॅंच रहे हैं लेकिन इतनी मात्रा में वैक्सीन स्थानिय प्रशासन को उपलब्ध नहंी हो रही है। साथ ही इस बात का पता भी एक दिन पूर्व देररात को लग पाता है कि कितनी डोज क्षेत्र के लिए उपलब्ध होगी। जिसके चलते सारी अव्यवस्थाऐं हो रही है। सोमवार को भी सिविल हॉस्पिटल के सामने स्थित टीकाकरण केन्द्र, डे-केयर सेंटर, खेल परिसर आदि स्थानों पर सैकडों नागरिक द्वितीय डोज के लिए पहुॅंचे लेकिन ज्यादातर को टीका नहीं लग पाया।
इनका कहना है
कोविड-19 टीकाकरण हेतु जिला प्रशासन द्वारा सिमित मात्रा में टीकों की डोज उपलब्ध करवाने से कई सेंटरों पर टीके कम लग पा रहे है। वरिष्ठ अधिकारियों से ज्यादा डोज की मांग लगातार की जा रही है। सभी को टीका लगवाया जावेगा।
आशुतोष गोस्वामी, एसडीएम, नागदा
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