नागदा जं.-परिवार, संपत्ति, सत्ता, संतान सबकुछ मिला लेकिन सुख प्राप्त नहीं हुआ- महासति पुण्यशिलाजी

MP NEWS24- महासति श्री पुण्यशिलाजी ने कहा कि मानव संसार में आकर दिन-रात कड़ी मेहनत एवं अथक परीश्रम करने के पश्चात् सपरिवार संपत्ति संतान एवं सता को प्राप्त करने के बाद भी शारीरिक एवं मानसिक रूप से हमेशा दुःखी रहता है कि मेरे पास जो भी है यह कम है और इसकी वृद्धि हेतु प्रयासरत रहता है लेकिन वह असफल रहता है और वह सबकुछ होने के बाद भी सुखी नहीं है। क्योंकि वह दुसरों को देखकर दुःखी है। मेरी मुकाबले उसके पास ज्यादा कैसे ? साध्वी नेहप्रभाजी ने कहा कि नाम सिर्फ शरीर का होता है आत्मा का नहीं। नाम करने के पीछे आदमी क्या-क्या नहीं करता लेकिन शरीर के साथ नाम भी नश्वर हैं

मीडिया प्रभारी महेन्द्र कांठेड़ एवं नितिन बुडावनवाला ने बताया कि तैले 3 उपवास की लड़ी ममें श्रीमती मधुलीका अरविंद नाहर 21 उपवास श्रीमती शान्ताबहन सुनिलजी वौरा एवं 27 उपवास की तपस्या श्रीमती निर्मलाजी चण्डालिया के चल रहे है। सिद्धीतप की तपस्या के अन्तर्गत सातवे उपवास का आज दुसरा दिन है। अतिथि सत्कार का लाभ राजेन्द्रजी मनीषजी हितेशजी कांठेड़ ने लिया। धार्मिक प्रभावना श्री भवरसिंहजी डोडिया रतनीयाखेड़ी वालो की ओर से रही। आभार श्रीसंघ अध्यक्ष प्रकाशचन्द्र जैन सांवेरवाला ने माना। प्रवचन में संतोष चपलोत, बसन्तीलाल बेरछावाला, राजेन्द्र जैन अरिहंत, हुकुमचंद चपलोत, दिलीप कांठेड हार्डवेयर, गंभीरमल पावेचा, अर्जुनसिंहजी पंवार रतनीयाखेडी, अभय चपलोत, सुभाषजी छोरीया, प्रकाश जैन मावावाला, वर्धमान धोका आदि उपस्थित थे।

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