MP NEWS24- संघर्ष से अपना जीवन व्यतीत करने वाले व कठिन मेहनत कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले जीवनलाल जैन की आजीविका स्वयं चाय बनाकर स्वयं ही बाजार में घूमकर चाय बेचने से चलती है। आमदनी कम होने से उन्होंने कोई सहयोगी भी नही रखा। घर से चाय बनाकर बाजार में बेचने के अलावा जीवन के संघर्ष में उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे, पूर्व में कई सालों तक किराए की दुकान में ढाबा चलाते थे, जो उन्हे खाली करना पड़ी। बेरोजगारी के चलते उन्होंने बाहर जाकर मेलों में फुटकर दुकान लगाई लेकिन सफ़लता नही मिली। आखिरकार उन्होंने फिर नागदा में रहकर किराये के मकान में अपनी पत्नी व पुत्र के साथ थर्मस में चाय भरकर बाजार में बेचना शुरू की। दिनभर मेहनत के बाद 100 से 300 तक आय अर्जित कर लेते है।युवा समाजसेवी निलेश मेहता बताते हैं कि कोरोना आपातकाल में रोजगार ठप्प हो गया लेकिन निवास के समीप जब कई बेघर लोगों को विश्राम करते देखते तो उन्हें चाय बांटकर खुशी का अहसास करते थे, जो अब उनकी आदत बन गया। जीवनलाल का कहना है कि कई बेघर लोगो के पास पैसे नही होते और सड़क किनारे बैठे रहते है, शहरवासी कुछ पैसे देते हैं तो चाय नाश्ता कर लेते है। जीवनलाल बताते हैं कि सेवाभावी लोग बेघर लोगो को जब पोहे, कचोरी आदि का नाश्ता देकर जाते तो मैंने उन्हें चाय पिलाना शुरू कर दिया। जरूरतमंद को सुबह जब अकस्मात चाय का प्याला मिल जाता तो उनके चेहरे पर खुशी आ जाती है, उसी मुस्कान को देखने के लिए मैं उन्हें निःशुल्क चाय सेवा करने का प्रयास करता हुॅं। कोरोना आपातकाल से शुरू इस सेवाकार्य को लगभग 11 माह होने के बाद भी सेवा का क्रम अभी भी जारी है।
सेवा करने के लिए जरूरी नहीं की बडा आदमी ही बना जाऐ
जीवनलाल का कहना है कि सेवा करने के लिए धनाढ्य होना जरूरी नही बस आपके मन में लोगो को खुश देखने की इच्छा होना चाहिए। अभी भी जीवनलाल रोजाना सुबह पूर्व की तरह स्टेशन के समीप जवाहर मार्ग पर बैठे बेघर लोगों को सेवार्थ सुपर चाय पिला कर ही अपने दिन की शुरुवात करते है।
Post a Comment