नागदा जं.-फसल गिरदावरी में जिले में दुसरे स्थान पर नागदा तहसील, 98 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त लंबित नामांतरण के 56 प्रतिशत मामलों में आदेश जारी

MP NEWS24- खरीफ की फसल गिरदावरी में नागदा तहसील जिले में दुसरे स्थान पर आ गई है। विगत कुछ समय से गिरदावरी के मामले में तहसील काफी पिछड रही थी। तहसीलदार आशीष खरे के मार्गदर्शन में खरीफ फसल की गिरदावरी में क्षेत्र के पटवारियों में बहुत ही बेहतर कार्य को अंजाम दिया है। वर्तमान में 98 से अधिक गिरदावरी का प्रतिशत है, जबकि गिरदावरी की अंतिम तारीख 15 सितम्बर निर्धारित की गई है। नागदा तहसील में कुल 114 गांव सम्मिलित है जिसमें समय से पूर्व लक्ष्य प्राप्त करने तथा 100 प्रतिशत तक फसलों की गिरदावरी हो जाने से क्षेत्र के कृषकों को इसका लाभ मिलेगा तथा अवर्षा तथा फसल नुकसानी के दौरान उन्हें फसलों का मुआवजा एवं अन्य सहायता भी जल्द मिल सकेगी। वैसे तहसील कार्यालय के मूल कार्यो में फसल की गिरदावरी एवं नामांतरण के मामले मुख्य है। जबकि इनके अलावा भी अन्य मामलों में अधिकारियों को झोक दिया जाता है।

क्या होती है फसल गिरदावरी ?
मामले में जानकार बताते हैं कि फसल गिरदावरी खेती से सम्बंधित एक प्रक्रिया है, जो वर्ष में दो बार रबी और खरीफ की फसल के दौरान होती है। गिरदावरी प्रक्रिया को पटवारी द्वारा किया जाता है। इसमें खेत की जानकारी को शासन के राजस्व विभाग में दर्ज की जाती है है, जैसे कितने रकबे में कितनी और कौन सी फसल की बोवनी होनी। पटवारी अपने क्षेत्र के किसानों के पास जाकर जानकारी को एकत्रित कर गिरदावरी रिपोर्ट को तैयार करते हैं। पहले खेत से सम्बंधित जानकारी को कागज पर नोट किया जाता था, जिसमें कई त्रुटियां होती थीं, लेकिन अब मोबाईल एप के माध्यम से इस जानकारी को दर्ज किया जाता है। पहले पटवारी घर बैठकर ही फसल का रकबा दर्ज कर दिया करते थे, लेकिन अब वे ऐसा नहीं पाते, तथा फिल्ड में जाकर ही संबंधित क्षेत्र की जानकारी एकत्रित करना होती है। इस प्रक्रिया के तहत ही आंकड़ों के आधार जिले का रकबा पता चलता है साथ ही प्राकृतिक आपदा के समय प्रभावित किसान को मुआवजा देने के लिए इसी गिरदावरी का उपयोग किया जाता है।
कैसे की जाती है गिरदावरी
एप के माध्यम से होने वाली इस प्रक्रिया में पटवारी सबसे पहले उस किसान के पास जाता है जिसकी गिरदावरी दर्ज की जानी है। संबंधित किसान का नाम, सर्वे और मोबाईल नंबर, खेत में बोई फसल की जानकारी दर्ज की जाती है। जो भी जानकारी पटवारी द्वारा दर्ज की गई है, उसके साथ किसान के मोबाईल नंबर पर ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) प्राप्त होगा। यदि पटवारी द्वारा जानकारी सही दर्ज की गई है तो किसान पटवारी को ओटीपी देगा। ओटीपी एप में दर्ज करते ही फसल की जानकारी ऑनलाइन शासन के पास दर्ज हो जाएगी। वर्तमान में मध्यप्रदेश में सारा एप के जरिये गिरदावरी की जाती है।

नामांतरण के मामलों में भी हुई प्रगति

फौती एवं रजिर्स्ड विक्रय पत्र के आधार पर तहसील कार्यालय द्वारा किए जाने वाले नामांतरण में भी वर्तमान में नागदा तहसील ने काफी बढत बना ली है। पूर्व में जहॉं तहसील कार्यालय में 2500 से अधिक प्रकरण लंबीत थे। इन लंबित प्रकरणों में से 1400 प्रकरणों का निराकरण विगत दिनों में कर दिया गया है। ऐसे में वर्तमान में तहसील में मात्र 1100 के लगभग प्रकरण ही लंबित है जिनका भी जल्द निराकण किए जाने की बात तहसीलदार खरे द्वारा हमारे प्रतिनिधि से चर्चा में कही है।
इनका कहना है
नागदा तहसील क्षेत्र अंतर्गत 114 गांवों की गिरदावरी में 98 प्रतिशत कार्य को पूर्ण कर लिया गया है। लक्ष्य प्राप्ति हेतु 15 सितम्बर की तारीख निर्धारित है तब तक 100 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया जावेगा। कार्यालय में लंबित नामांतरण के 56 प्रतिशत मामलों का निराकरण किया जा चुका है। जल्द ही सभी मामलों में आदेश जारी कर दिए जावेंगे।
आशीष खरे, तहसीलदार नागदा

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