MP NEWS24-नगर पालिका में मुनपा अधिकारी के स्थानांतरण के बाद प्रभारी सीएमओ की नियुक्ति पर नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय के प्रमुख सचिव मनीषसिंह एवं उपसचिव तरूण राठी को नोटिस भेजकर मांग की है कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए नागदा नगर पालिका में प्रथम वर्ग के सक्षम सीएमओ की नियुक्ति की जावे। जबकि वर्तमान में नियुक्त हुए सीएमओ प्रथम वर्ग के नहीं होकर मात्र राजस्व निरीक्षक है तथा यह नियुक्ति उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये आदेश की अवमानना है।शासन ने दिया है आदेश
चोपडा द्वारा पत्र में उल्लेख कर बताया कि म.प्र. शासन नगरीय एवं आवास विभाग मंत्रालय का आदेश क्रमांक एफ 1-138/2021/18-1 राज्य शासन एतद् द्वारा निम्नलिखित अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित करते हुए अस्थाई रूप से आगामी आदेश तक उनके नाम के सम्मुख दर्शाये गये स्थान पर पदस्थ करता है। आदेश के तीसरे क्रमांक में सीएस जाट राजस्व अधिकारी, प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर परिषद तराना जिला उज्जैन को प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद नागदा जिला उज्जैन बना दिया एवं आदेश के नीचे म.प्र. के राज्यपाल के नाम से आदेशानुसार तरूण राठी उपसचिव म.प्र. शासन नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग के हस्ताक्षर है एवं 8 सितम्बर 2021 को यह आदेश जारी किया गया है।
विदित है कि मनीषसिंह नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव है एवं जो भी कार्यवाही होती है वह इनके आदेशानुसार होती है। उच्च न्यायालय इन्दौर द्वारा डब्ल्यूपी नं. 14632/2020 के अन्तर्गत न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा अपने निर्णय में कहा है कि राज्य शासन को फीडर कैडर के आधार पर नगर पालिकाओं में सीएमओ नियुक्त किया जाना चाहिये।
मुनपा अधिकारी जाट वर्तमान में प्रभारी सीएमओ एवं राजस्व निरीक्षक है जो कि फीडर केडर में नहीं आते है एवं नागदा नगर प्रथम वर्ग की नगर पालिका है। इसमें प्रथम वर्ग का सीएमओ का नियुक्त किया जाना ही आवश्यक है। म.प्र. शासन के पास कई सीएमओ प्रथम वर्ग के है जिनको प्राथमिकता के आधार पर नागदा नगर पालिका में नियुक्ति दी जा सकती थी। जबकि भविष्यकुमार खोब्रागढे जो प्रथम वर्ग के सीएमओ है उनको हटाकर प्रभारी सीएमओ को नियुक्त करने का आदेश जारी किया गया है।
चोपडा ने बताया कि नगरीय आवास एवं विकास विभाग का यह कृत्य उच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय की सीधी-सीधी अवमानना है तथा 7 दिवस के अन्दर प्रथम वर्ग के सीएमओ की नियुक्ति शासन द्वारा नहीं की जाती है तो उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना का प्रकरण लगाया जावेगा।
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